Sat. Nov 23rd, 2024

उसका ख़याल दिल को मेरे छोड़ता नहीं …

ग़ज़ल
वज़्न—221—2121—1221–212
उसका खयाल दिल को मेरे छोड़ता नहीं!
बाहर निकलना क़ैद से भी चाहता नहीं!!

खुद ही गुनाह करता है और पूछता है यह!
वो कौन सी जगह है ख़ुदा देखता नहीं!!

बेशक नहीं है तुझ से मेरा कोई राबता!
ये भी नहीं कि तुझ से कोई वास्ता नहीं!!

कितनी ही बार माफ़ी मैंने तुझ से मांग ली!
करता है माफ़ मेरी तू क्यूँ अब ख़ता नहीं!!

हैं नफरतें जब मेरे लिए तेरी नज़र में!
मिलने का इस जनम में कोई रास्ता नहीं!!

आदत नहीं ये मेरी तुझे भूल जाऊं मैं!
सब याद मुझ को हैं कभी कुछ भूलता नहीं!!

कितने गुनाह कर रहा फिर भी नहीं है डर!
ऑंखें हैं बंद उसकी मगर खोलता नहीं!!

…. Abha Saxena Doonwi

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *