जलालाबादी कशीदाकारी हुनर का देश-विदेश में डंका-11 Dec.2017
शामली- शामली जिले का कस्बा जलालाबाद ऐतिहासिक कस्बा है। प्रसिद्ध धर्म गुरू हजरत मसीउल्ला के किस्से से जहां जलालाबाद में आज भी जींवत है वहीं हैण्डवर्क ( कशीदाकारी) कारीगिरी ने देश में ही नही विदेशों में कस्बे को पहचान दिलाई है। जलालाबाद के कारीगिरों की कलाकारी जब सुंदर मोतियों व सोने-चांदी की बूंटों के जरिए परिधान पर उकेरी जाती है तो देखने वाला बरबस वाह.वाह कर ही उठता है। हिंदुस्तान हीं नहीं विदेशों में भी जलालाबादी चुनरियों का डंका बजता है। पाकिस्तान, इंग्लैंड, अमेरिका, ब्रिटेन दुबई में जलालाबाद की इस कारीगिरी की खासी डिमांड रही है। यहां के कारीगिरों की कलाकारी ने सौंदर्य परिधान को अलग दिशा दी है।
वी.ओ- आपको बता दे कि शामली जिले में दिल्ली-सहारनपुर हाईवे पर बसा कस्बा जलालाबाद अपने इतिहास पर इतराता, इठलाता और गौरवांवित होता रहा है। इतिहास के सुनहरे पन्नों में अंकित जलालाबाद के अनेकों मिसाल, इमारतें व हस्तियां विश्व प्रसिद्ध है। वहीं मौजूदा समय में भी यहां के वांशिदें पीछे नहीं है। जलालाबाद के नारी परिधान निर्मित करने वाले कारीगिरों ने जलालाबाद को विश्व में चमकाया हुआ है। यहां की हस्तकला कशीदाकारी के विदेशी दीवाने है। कशीदाकारी कारीगीरों की सबसे ज्यादा मांग खाड़ी देशों में है। सैकड़ों की संख्या में जलालाबाद के कारीगीर हैंडवर्क के डिजाइनों को खाड़ी देशों में कपडों पर बना कर भारत की पहचान बना रहे है। जलालाबाद में मौहल्ला करीमबख्श, कटहरा बाजार, मौहममदीगंज, अमानत अली में दर्जनों हैंडवर्क के कारखाने मौजूद है। इन सभी कारखानों में सैंकडों कारीगीर मोती, चांदी, सोने के महीन तार के जरिए अपने हाथ के हुनर से आकर्षक डिजाईनों से कपडे की कीमत बढ़ा रहे है। वर्तमान में मोती जरिए आकर्षक डिजाईनों की मांग फैशन में बढ़ी है। जलालाबाद के कारखानों से तैयार माल की मांग देश के महानगरों में सबसे ज्यादा है। वही इग्लैंड, ब्रिटेन, अमरीका के साथ खाडी देशों में जलालाबाद में तैयार माल की मांग है। लेकिन फिलहाल जलालाबाद के कारीगीर हैंडवर्क काम के हुनर से भारत का नाम रोशन कर रहे है। सउदी अरब, दुबई, सिंगापुर में सबसे ज्यादा मांग हैंडवर्क में भारतीय कारीगीरों की है। यहीं कारण है कि जलालाबाद के युवा कारीगीर सैंकडो की संख्या में विदेशों में हाथ के हुनर की छाप विदेशी बाजारों में नारी परिधान पर तैयार आकर्षक डिजाईनों के माध्यम से छोड़ रहे है।
कसीदाकारी करने वाले कारीगर हामिद ने बताया कि मै लगभग 8 वर्षो से यह कार्य कर रहा हूँ। और बदलते फैशन व डिमांड के हिसाब से हम काम करते है। मोतियो रेशम व दबके का आजकल बहूँत काम है। पहले सोने चादी के महीन तारो से भी लोग काम कराते थे। सोना चादी महंगा होने से अब केवल रेशम जरी दबके मोतियो का काम रह गया है।
हैंडवर्क कारखानें के सचांलक इमरान खान के मुताबिक उनके कारखानों से तैयार माल जी.एस.टी. दायरे में आ गया है। इसके लिए उन्होने रजिस्ट्रेशन भी कराया है। इमरान का कहना है। कि जब से जी.एस.टी. आया है तब से उनके काम मे काफी कमी आयी है। पहले तो उनके पास काम खिच आता था। लेकिन अब उन्हें काम खुद ढूंढना कर लाना पड़ता है। जलालाबाद के हैंडवर्क कारीगीरों को सबसे ज्यादा उम्मीद प्रदेश व देश की सरकार से है। हैंडवर्क काम को मजबूत करने के लिए श्रम विभाग ने आज तक कारीगीरों के पंजीकरण कराने के लिए किसी तरह की पहल नही की है। यदि केंद्र सरकार जलालाबाद में हैंडवर्क कारखानों को मदद दे तो युवाओं को अधिक रोजगार मिल सकेगा।