डॉ सुरेश पोखरियाल के ग्रन्थ का विधानसभा अध्यक्ष ने किया लोकार्पण
देहरादून, 28 जुलाई: डॉ सुरेश चंद्र पोखरियाल के ग्रंथ ‘गढ़वाली एवं कुमाऊंनी भाषाओं की भाषा वैज्ञानिक सरंचना’ का लोकार्पण रविवार को मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, कार्यक्रम अध्यक्ष अनुसूया प्रसाद डंगवाल, विशिष्ट अतिथि डॉ नंदकिशोर ढौंढियाल, राकेश चंद्र जुगरान, बीना बेंजवाल और स्वयंवर दत्त देवरानी ने किया। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि लोकभाषाएं किसी भी क्षेत्र की पहचान होती हैं। इसलिए लोकभाषाओं को बचाना बहुत जरूरी है। गढ़वाली और कुमाऊंनी लोकभाषाओं को बीतचीत में अधिक प्रयोग किया जाना चाहिए। इन भाषाओं को जानने वाले लोगों को शहर आने के बाद इन भाषाओं को त्यागना नहीं चाहिए। बल्कि शहर के अन्य लोगों को यह भाषाएं सिखानी चाहिये।
डॉ नंदकिशोर ढौंढियाल ने ग्रंथ की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि डॉ पोखरियाल का ग्रंथ गढ़वाली-कुमाऊंनी भाषा के विकास में मील का पत्थर साबित होगा। डॉयट प्राचार्य राकेश जुगरान ने भाषा कैसे जन-जन तक पहुंचने का माध्यम बनती हैं। उन्होंने विस्तार में इस बारे में बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अनसूया प्रसाद डंगवाल ने कहा कि गढ़वाली-कुमाऊंनी भाषा के उत्थान के लिए वर्तमान में प्रयास किये जा रहे हैं जो कि सराहनीय है। कार्यक्रम का संचालन अरुण थपलियाल काली ने किया। इस अवसर पर राम सिंह चौहान, रमाकांत बेंजवाल, कीर्ति नवानी, जीएस पंवार, तोताराम ढोंडियाल, द्वारिका प्रसाद ढोंडियाल, दीपक नेगी, बीएलबर्थवाल, वीपीसकलानी, सुनीता अधिकारी, टीना मोहन, पुष्पा गुसाईं, गायत्री सहगल, संहिता कुकरेती, डीसीजुयाल, कैलाश बहुगुणा, भुवनेश ढोंडियाल, जय सिंह रावत, अजीतपाल रौथाण, पुष्पलता ममगाईं, प्रेमलता सजवाण आदि मौजूद थे