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तुम में शायद कहीं बचा हो मन के कोने में कोरापन…वाजा इंडिया की गोष्ठी में कवियों ने जमाया रंग

देहरादून, 8 सितंबर: वाजा इंडिया की उत्तराखंड इकाई ने शनिवार को काव्य गोष्ठी का आयोजन किया। तस्मिया अकेडमी में आयोजित गोष्ठी श्रृंगार रस से सराबोर रही। साथ ही कवियों ने विभिन्न विषयों पर आधारित रचनाओं का पाठ किया।
काव्य गोष्ठी का शुभारंभ आभा सक्सेना ने माँ वीणापाणि की आराधना से किया। डॉ डीएन भटकोटी ने ‘तुम में शायद बचा कहीं हो मन के कोने में कोरापन’ और वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ” ने आँखों में सूरत तेरी दिनमान रखता हूँ, बस इसी दौलत से मैं पहचान रखता हूँ’ सुनाकर वाहवाही लूटी। हेमलता बहन ने ‘ अब के मौसम को यूँ सजाया जाए, बहारों को घर में बुलाया जाए’, डॉ बसन्ती मठपाल ने ‘आसान नहीं है इतना चाँद तो एक चुनौती है, आज हैं उसके दर पर कल भीतर की मनौती है’, आभा सक्सेना ने ‘ चरागों को जलाना भी कहां आसान होता है, अंधेरा क्यूं मेरा आखिर मेहमान होता है’, कविता बिष्ट ने ‘ अब तो लहरायेगी मेरे कश्मीर कि चुनर धानी, हर दिल वहां मुस्करायेगा लेकर स्वछन्द हवा-पानी, डॉ नीलम प्रभा वर्मा ने ‘ मिट्टी हुई अभंग इसके कई रंग’, ज्योत्स्ना जोशी ने ‘तुम कृष्ण हो मैं प्रेम में हूँ’, मीरा शर्मा ने ‘मेरे हमनवा हो तुम नाशाद मैं नहीं’, जिया नहटौरी ने ‘नहीं है जिन्हें ज्ञान छन्द का उन्हें साहित्यकार कैसे कहूं’ सुनाई। इसके साथ ही पुष्पलता ममगाईं, जसवीर सिंह हलधर, जीके पिपिल, वन्दिता श्री, डॉ नूतन गैरोला आदि ने काव्यपाठ किया। प्रतिभा नैथानी ने संस्मरण और नरेंद्र उनियाल जी ने लघु कथा का वाचन किया।
काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता ठाकुर भवानी प्रताप सिंह और संचालन प्रदेश महामन्त्री वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ” ने किया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शिक्षाविद् कमला पंत मौजूद रही।

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