धाद लोकभाषा एकांश कि गोष्टिम चलि गीत-कवितौं कु बथौं
देहरादून, 10 नवंबर: धाद लोकभाषा एकांश कि मासिक बैठक धाद कार्यालय चुक्खुवालम ऐतवार कु बीना कंडारी की अध्यक्षतम ह्वे। गोष्टिम बाल कवितौं पर बि चर्चा ह्वे। लोकभाषा एकांश का काम-काज पर चर्चा का बाद कवियौंन गढ़वाली-कुमौनी गीत-कविता सुणैन।
कविता सुणौणै शुरवात लक्ष्मण सिंह रावत जीन करि कि ‘एक जोड़ी कै जुड़ जंदन, एक टुटी कै टुट जंदन’, शांति बिंजोला कि कविता ‘मि गढ़वाली छौं मेरी मयली पच्छाण हरचणी दुदबोली मेरी कनक्वे बचाण’, सुमित्रा जुगलान कि कविता ‘मि शहीद की पत्नी छौं दूसरू ब्यो करि अपड़ी पच्छयाण नि खोण चांदो’ खूब पसंद करै ग्ये। यूंक बाद चंद्रशेखर तिवारी न कविता पढ़ी ‘कि म्यर पोथिलो तुम जी रयां बचि रयां अर तुमर खुट कान कमै झन बुडो झन छितरी रयां तुम कमै लै इतके उथके त मडुवैकि बालडिक चार’, शांति प्रकाश जिज्ञासु कि कविता ‘बारा मैनों क बाद बग्वाली तिवार ऐगी ईं बग्वाल मा घौर ऐली क्या तेरा बाना ज्यू खुद्यू च लाटा वे थै जरा बुथैली क्या’, प्रेमलता सजवाण न गजल सुणै कि ‘घाम चटकताल भिज्यि जिकुड़ी दिखै द्यू’ सुणै। बीना कंडारी न अध्यक्षीय भाषण का दगड़ा कविता बि सुणै। ऊन सबयूं कु आभार व्यक्त करि। गोष्टिम मनोज भट्ट गढ़वाली, हरीश कंडवाल न बि कविता सुणै। वखि रमाकांत बेंजवाल न देवेंद्र जोशी कि कविता सुणै।