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पितृपक्ष : पितरों को याद करने, उनका मान-सम्मान करने के दिन

पितरों की मौजूदगी का होता है अहसास

देहरादून, 12 सितंबर: पितरों को याद करने और उनका सम्मान करने वाले दिन 13 सितंबर से शुरू हो रहे हैं। ये दिन यानी पितृ पक्ष। 16 दिन पितरों को समर्पित। पितरों की तिथि के हिसाब से उनका तर्पण। सच में तर्पण देते समय उनकी उपस्थिति का अहसास होता हा।

हिंदू कैलेंडर के अनुसार पितृ पक्ष अश्विन मास के कृष्ण पक्ष में पड़ते हैं। इस महीने की शुरुआत पूर्णिमा तिथि से होती है और समाप्ति अमावस्या पर। इस बार पितृ पक्ष 13 सितंबर से 28 सितंबर तक रहेंगे।
पितरों को समर्पित अश्विन मास की भाद्रपद पूर्णिमा से अश्विन की अमावस्या तक पितृ पक्ष मनाया जाता है। 16 दिनों के लिए पितृ घर में विराजमान होते है जो हमारे वंश का कल्याण करते हैं।

क्या है श्राद्ध?

पितृ पक्ष में जो हम दान पूर्वजों को देते है वो श्राद्ध कहलाता है। शास्त्रों के अनुसार जिनका देहांत हो चुका है वे सभी इन दिनों में अपने सूक्ष्म रूप में धरती पर आते हैं और परिजनों का तर्पण स्वीकार करते हैं।
श्राद्ध के बारे में हरवंश पुराण में बताया गया है कि भीष्म पितामह ने युधिष्ठर को बताया था कि श्राद्ध करने वाला व्यक्ति दोनों लोकों में सुख प्राप्त करता है। श्राद्ध से प्रसन्न होकर पितृ धर्म को चाहनें वालों को धर्म, संतान चाहने वाले को संतान, कल्याण चाहने वाले को कल्याण जैसे इच्छानुसार वरदान देते है।

किसे करना चाहिए श्राद्ध

वैसे तो श्राद्ध का अधिकार पुत्र को प्राप्त है, लेकिन अगर पुत्र नहीं है तो पौत्र, प्रपौत्र या फिर विधवा पत्नी भी श्राद्ध कर सकती है।

पितृ पक्ष 2019

13 से 28 सितंबर

पूर्णिमा श्राद्ध-13 सितंबर
सर्वपितृ अमावस्या – 28 सितंबर को समर्पित रह्ते हैं। पूर्वजों का मुक्ति मार्ग की ओर अग्रसर होना ही पितृ ऋण से मुक्ति दिलाता है।

वर्ष 2019 में निम्न तिथियों को श्राद्ध किया जा सकता है।

13 सितंबर शुक्रवार प्रोष्ठपदी/पूर्णिमा श्राद्ध
14 सितंबर शनिवार प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध
15 सितंबर रविवार द्वितीया तिथि का श्राद्ध
17 सितंबर मंगलवार तृतीया तिथि का श्राद्ध
18 सितंबर बुधवार चतुर्थी तिथि का श्राद्ध
19 सितंबर बृहस्पतिवार पंचमी तिथि का श्राद्ध
20 सितंबर शुक्रवार षष्ठी तिथि का श्राद्ध
21 सितंबर शनिवार सप्तमी तिथि का श्राद्ध
22 सितंबर रविवार अष्टमी तिथि का श्राद्ध
23 सितंबर सोमवार मातृ नवमी तिथि का श्राद्ध
24 सितंबर मंगलवार दशमी तिथि का श्राद्ध
25 सितंबर बुधवार एकादशी का श्राद्ध/द्वादशी तिथि/संन्यासियों का श्राद्ध
26 सितंबर बृहस्पतिवार त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध
27 सितंबर शुक्रवार चतुर्दशी का श्राद्ध
28 सितंबर शनिवार अमावस्या व सर्वपितृ
29 अक्तूबर रविवार नाना/नानी का श्राद्ध

श्राद्धपक्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्चिन कृष्ण अमावस्या के मध्य जो भी दान -धर्म किया जाता है। वह सीधा पितरों को प्राप्त होने की मान्यता है। पितरों तक यह भोजन ब्राह्माणों व पक्षियों के माध्यम से पहुंचता है। जिन व्यक्तियों की तिथि का ज्ञान न हो, उन सभी का श्राद्ध अमावस्या को किया जाता है।

चतुर्दशी के श्राद्ध की विशेषता
ऎसे सभी लोग जो हमारे मध्य नहीं हैं। इस लोक को छोड़कर परलोक में वास कर रहे हैं। इस लोक को छोड़ने का कारण यदि शस्त्र, विष या दुर्घटना आदि हो तो ऎसे पूर्वजों का श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। चतुर्दशी तिथि में लोक छोड़ने वाले व्यक्तियों का श्राद्ध अमावस्या तिथि में करने का विधान है।

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