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योगा से होगा -7 सरल योग आसन जो गर्दन के दर्द से छुटकारा दिलाते हैं

अब वह दिन नहीं रहे जब “थोड़ा ही बहुत है” का मुद्दा जीवन जीने के लिए उपयुक्त माना जाता था| आज हमें सब कुछ औरों से बेहतर चाहिये| बेहतर घर, बेहतर तनख्वाह, बेहतर अंक और यहाँ तक की बेहतर दुनिया| यह बेहतर होने की होड़ और संघर्ष हम सब को पागल कर रही है| आप कह सकते हैं की यह एक क्रमागत उन्नति है| परंतु जिस गति से हम उन्नति हासिल करना चाहते हैं वह हमारे स्वास्थ पर एक प्रतिकूल असर डाल रहा है – मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक तौर पर|

हमारी इच्छाओं ने आवश्यकताओं का रूप ले लिया है और इन की पूर्ति करने के लिए काम के प्रति प्रतिबध्दता अनिवार्य है| इसी यथाक्रम में हम स्वयं को ज़रूरत से ज़्यादा तनावग्रस्त कर लेते हैं व शरीर को एक कारखाने में परिवर्तित कर देते हैं| इस के बाद शरीर की टूट-फूट शुरू हो जाती है| एक अति सामान्य रोग जो हम सभी को प्रभावित करता है, वह है गर्दन का दर्द|

गर्दन का दर्द जिसे चिकित्सा शब्दावली में ‘सर्विकालजिया’ कहते हैं ज़्यादातर, लंबे अंतराल तक निरंतर एक ही मुद्रा में बैठे रहने, या पूरी रात ठीक से न सोने और कम व्यायाम करने के कारण उठता है| जब गर्दन के दर्द (gardan ke dard) के कारण ही सरल हैं, तो उस का ईलाज क्यों नहीं?

गर्दन के दर्द से छुटकारा पाने के लिए हम आपके समक्ष 7 सरल तरीके (योग आसन) प्रस्तुत करते हैं जो करने में भी आसान हैं और आप के दैनिक व्यस्त कार्यक्रम में बाधा भी नहीं पहुँचाएंगे| योग के विषय में सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है क़ि इस का अस्तित्व पाँच हज़ार से भी ज़्यादा सालों से पुराना है और यह अभी भी सुदृड रूप से चल रहा है|

गर्दन में दर्द के लिए योग आसान:

  • बाल आसन या शिशु आसन |Shishuasana | Child pose
  • नटराज आसन या रिक्लाइनिंग ट्विस्ट्स |Natrajasana
  • बीतिलीआसन या गौ (काउ) मुद्रा |Cow pose
  • मार्जरिआसन या कैट (बिल्ली) मुद्रा |Marjaryasana
  • विपरीत कर्णी आसन या दीवार के सहारे पैर उपर करने की मुद्रा | Viparita Karani Asana
  • उत्थिता त्रिकोण आसन या एक्सटेंडेड ट्राइऐंगल मुद्रा | Trikonasana


    बाल आसन या शिशु आसन

  • फर्श पर घुटने के बल बैठ जाएँ| अपनी पिंडलियों को ज़मीन पर इस तरह रख दें कि दोनों पंजे आपस में मिले हों| एड़ीयों के भार बैठ जायें| अपने हाथों को शरीर के दोनों ओर ज़मीन पर रख दें| एक लंबी गहरी श्वास छोड़ें और कमर को झुकाते हुए अपने धड़ को अपनी दोनों जंघाओं के बीच ले आएँ| अब धीरे से अपने सर को ज़मीन पर रख दें| उतनी ही चेष्ठा करें जितना सरलता से संभव हो सके, अपने आप अधिक ज़ोरदार प्रयास न करें| अपनी हथेलियों को अपने धड़ के दोनों तरफ ज़मीन पर रखे रहें| इसी आसन में जितनी देर संभव हो, विश्राम में रहें| और फिर धीरे से एक श्वास लेते हुए अपने शरीर को धीरे-धीरे उपर उठाते हुए सीधे हो जाएँ| अपनी हथेलियों को आकाश की ओर मुंह करके जंघा पर रखें जैसे ईश्वर को समर्पण कर रहे हैं| इस आसन से केवल गर्दन और पीठ के दर्द से ही आराम नहीं मिलता है, अपितु मन भी शांत हो जाता है. यह आसन कूल्हों, जांघों और पिंडलियों को लचीला बनाकर आपको एक शिशु की सी ताज़गी महसूस कराता है|

    नटराज आसन

    अपनी पीठ को सीधे रखते हुए ज़मीन पर लेट जाएँ| धीरे से अपने सीधे पैर को उठा कर बाएँ पैर के उपर ले आएँ| बायां पैर सीधा ही रखें| ध्यान रहे कि दाहिना पैर ज़मीन पर एक सीधा कोण बनाए| अपने दोनों हाथों को शरीर के दाहिने और बाएँ तरफ फैला कर रखें| चेहरे को दाहिनी तरफ मोड़ लें| कुछ गहरी लंबी श्वास लें और छोड़ें और इसी मुद्रा में तीस सेकंड्स तक स्थिर रहें| बाएँ पैर से इसी आसन की पुनरावृति करें| यह आपकी मांसपेशियों को तो लचीला बनाती ही है साथ ही आपको पूर्णता और आनंद का अहसास कराती है| यह शिव के नृत्य की मुद्रा है|शिव तत्व को अपने भीतर व चारों ओर महसूस करो|

    बीतिलीआसन या गौ (काउ) मुद्रा

    अपनी पिंडलीयों को ज़मीन पर रखें और बाकी शरीर को टेबल टॉप मुद्रा में रखें, यानि की अपनी जांघों, धड़ और हाथों की सहायता से एक मेज़ का रूप धारण करें| अपने घुटने और कूल्हों को एक ही लाइन में रखें| अपनी कमर, कोहनियों तथा कंधों को भी एक लाइन में ज़मीन से सटा कर रखें| आपका धड़ ज़मीन के समानांतर हो| इस मुद्रा में रहते हुए सांस भरें और अपने पेट को ज़मीन की तरफ अंदर खींचें| अब अपने सिर को उपर की तरफ उठाएँ| इसी मुद्रा में थोड़ी देर तक रहें और फिर मार्जरिआसन में (जो नीचे दिया गया है) आ जाएँ|

    मार्जरिआसन या बिल्ली मुद्रा

    बारी बारी से सांस छोड़ें और अपनी रीढ़ की हड्डी को कूबड़ की तरह गोल करते हुए अपने सिर को नीचे ले जाएँ| धीरे से अपने थोडी को अपनी गर्दन से लगा दें| इन दोनो मुद्राओं (गौ मुद्रा और कैट मुद्रा) को श्वास लेते हुए और छोड़ते हुए, बारी बारी से करें| इसको करने से आपकी मेरुदण्ड और पेट की एक हल्की सी मालिश होगी वो भी बिना पैसे खर्च किए| साथ ही आपको गर्दन के दर्द से छुटकारा (Neck pain relief) भी मिल जाएगा|

विपरीत कर्णी आसन

यह सरल है| बस अपनी पीठ के बल लेट जाएँ और अपने टाँगों को दीवार का सहारा देते हुए पैरों को छत की ओर उठा लें| अपनी बाहों को फैला कर शरीर के दोनों तरफ ज़मीन पर रख दें और अपनी हथेलियों को आकाश की तरफ मोड़ कर खुली रखें| दूसरी मुद्रा में जाने से पहले इसी मुद्रा में कम से कम पंद्रह की गिनती करें और गहरी लंबी श्वास लें और छोड़ें| यह योग आसन आपकी गर्दन के पिछले हिस्से को सहजता से मालिश देता है, हल्के-फुल्के पीठ दर्द से आराम देता है और थकान को दूर कर पैरों की जकड़न/ऐंठन को दूर करता है|

उत्थिता त्रिकोण आसन

सर्वप्रथम सीधे खड़े हो जाएँ| अब अपने पैरों को जितना फैला सकें, फैला दें| अपनी पीठ को सीधे रखते हुए अपनी दोनों बाहों को बगल में फैला कर रखें| एक श्वास भरें और धीरे से अपने दाहिनी ओर झुक जाएँ| आप का दाहिना हाथ आप के घुटनों को स्पर्श करे और बायां हाथ उपर की दिशा में हो| इस मुद्रा में रहते हुए अपने बाएँ हाथ की तरफ देखते रहें| इसी मुद्रा में जब तक रह सकें, रहें| याद रखें कि आप अपनी क्षमता के अनुसार ही यह आसन करें| योग (Yog) का उद्देश्य आपको दर्द से मुक्ति दिलाना है, दर्द देना नहीं|

शव आसन

वाह! यह सब से आसान आसन है| इस को करने के लिए आपको कुछ भी नहीं करना है| इस में शरीर को ज़मीन पर स्थिर अवस्था में रखना है| ज़मीन पर सीधे लेट जायें, हाथों को शरीर के दोनों ओर रख लें और पैरों को थोड़ा सा खोल दें| हाथों को शरीर के दोनों तरफ रख कर हथेलियों को आकाश की तरफ खोल दें| यह आसन सब आसनों के अंत में किया जाता है और सबसे सरल आसन है| मांसपेशियों तथा खुद को गहरा विश्राम देने के लिए शरीर को इस स्थिति में 5 मिनट तक विश्राम दें |

हम आशा करते हैं कि आप की गर्दन का दर्द चला गया होगा इन सरल योग आसनों को करने के उपरांत और आप एक तनावमुक्त खुशहाल जीवन जी रहे होंगे| तब तक खुशी से इन योग आसन का आनद लें|

 

 

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