केदारनाथ में अब भव्य रूप में विराजे आदि गुरु शंकराचार्य
-मैसूर के मूर्तिकारों ने ब्लैक स्टोन से दिखाया कमाल। मूर्तिकारों ने 35 टन ब्लैक स्टोन पर आदिशंकराचार्य की भव्य और आकर्षक मूर्ति तैयार की है।
शब्द रथ न्यूज, ब्यूरो (shabd rath news)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज केदारनाथ में आदि गुरु शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची ब्लैक स्टोन से बनी प्रतिमा का अनावरण किया। आठ साल पहले 2013 में आई दैवी आपदा में आदिगुरु शंकराचार्य की समाधि भी बह गई थी। प्रधानमंत्री के दिशा-निर्देश पर केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण कार्यों के तहत आदिगुरु शंकराचार्य की समाधि विशेष डिजाइन से तैयार की गई। मैसूर के मूर्तिकारों ने 35 टन ब्लैक स्टोन पर आदिशंकराचार्य की भव्य और आकर्षक मूर्ति तैयार की है। मूर्ति के दर्शन कर लोग मैसूर के मूर्तिकारों के कौशल और मेहनत को दाद दिए बिना नहीं रह पा रहे।
पांच पीढ़ियों से मूर्तिकला की विरासत को संजोए हुए मैसूर के मूर्तिकार योगीराज शिल्पी ने अपने पुत्र अरुण के साथ मिलकर मूर्ति का काम पूरा किया है। आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा निर्माण के लिए देश भर के मूर्तिकारों ने अपना मॉडल पेश किया था। जिसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय से योगीराज शिल्पी को प्रतिमा तैयार करने के लिए अनुबंध किया। इस विशेष परियोजना के लिए योगीराज ने कच्चे माल के रूप में लगभग 120 टन पत्थर की खरीद की और छेनी प्रक्रिया को पूरा करने के बाद इसका वजन लगभग 35 टन है। योगीराज ने साल 2020 के सितंबर से प्रतिमा बनाने का काम शुरू किया था। प्रतिमा की चमक के लिए उसे नारियल पानी से पॉलिश किया गया है।
सेना के हेलीकाप्टर से केदारनाथ पहुंची मूर्ति
आदिगुरु शंकराचार्य की इस मूर्ति को सेना के सबसे बड़े हेलीकाप्टर से 25 जून को केदारनाथ लाया गया था। आदिगुरु शंकराचार्य की समाधि केदारनाथ मंदिर के ठीक पीछे छह मीटर जमीन की खुदाई कर बनाई गई है। समाधि के मध्य में आदिशंकराचार्य की प्रतिमा को स्थापित किया गया है।
प्रधानमंत्री ने की समाधि के पुनर्निमाण के काम में जुटे श्रमिकों की तारीफ
मूर्ति के अनावरण के लिए पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी समाधि के पुनर्निमाण के काम में जुटे श्रमिकों की तारीफ की। उन्होंने कहा कि यहां मौसम की प्रतिकूलता के चलते काम का समय काफी कम मिलता है। बर्फबारी के बीच भी काम में जुटे श्रमिकों ने अद्भुत प्रदर्शन किया है।
आदि गुरु शंकराचार्य ने सनातन धर्म को प्रदान की ओजस्वी शक्ति
आदि गुरु शंकराचार्य भारत के एक महान दार्शनिक और धर्मप्रवर्तक थे। उन्होने अद्वैत वेदान्त को ठोस आधार प्रदान किया था। उनका जन्म ई. पू. 508 में तथा महासमाधि 477 ई. पू. में हुई थी। आदिगुरु ने भारत में चार कोनों में चार मठों की स्थापना की थी। मात्र 32 वर्ष के जीवन काल में उन्होंने सनातन धर्म को ओजस्वी शक्ति प्रदान की।