Fri. Nov 22nd, 2024

पुस्तक समीक्षा ‘आका बदल रहे हैं’… डॉ रामेश्वर सिंह की नजर में मास्को से

आका बदल रहे हैं’ विजय तिवारी का ग़ज़ल संग्रह है। संग्रह में 89 ग़ज़ल संकलित हैं। पुस्तक की समीक्षा की है रूसी भारतीय मैत्री संघ ‘दिशा’ मास्को (रूस) के अध्यक्ष डॉ रामेश्वर सिंह ने।

‘आका बदल रहे हैं– गजल संग्रह, विजय तिवारी का एक बहुत सार गर्भित ग़जल संग्रह है। साहित्य और समाज दोनों का चोली-दामन का संबंध है, इस लिहाज से भी इन ग़जलों में प्रस्तुत भाव, विचार, व्यंग्य, जैसे-जैसे इस गजल संग्रह को हम पढ़ते हैं, वैसे वैसे इसमें जीवन व जगत की सूक्ष्म विद्रूपता के अनेक पक्ष उभरते हैं। ग़ज़ल की बारीकियों के बीच, अंदाजे-बयां ग़जब है। अपने मन के भावों को हिंदी गजल के रूप में जो प्रस्तुत किया है, इसमें 89 गजलों का एक ऐसा गुलदस्ता उभरकर सामने आता है जिसमें समाज की व्यवस्था व अव्यवस्था के बीच मानव मन के अनंत पक्ष उभरकर सामने आते हैं। तिवारी जी लिखते हैं-

‘अब मुल्क में कोई भी भूखा नहीं रहेगा, वह फिर से बीरबल की खिचड़ी पका रहे हैं।
वह भूख से वी लगता था कि जड़ों में लिपट के, इस तरह हमारे किस्से सुना रहे हैं’।

ग़ज़ल का हमारे साहित्य में बहुत गहरा असर पड़ता है। उर्दू के आंचल से निकलकर हिंदी के प्रांगण तक का सफर अपने आप में ग़ज़ल की यात्रा का महत्वपूर्ण पक्ष है। समाज के भूखे नंगे शोषित दलित लोगों के जीवन के बारे में जो अल्फाज प्रयोग किए गए हैं वे हिंदी ग़ज़ल को एक नई दिशा देते हैं। समाज की व्यवस्था और जीवन के प्रति संवेदनशील नजरिया ग़ज़ल कार की विशेषता बनकर उभरती है। जीवन के प्रति वह सचेत रहते हुए अपनी एक गज़ल कहते हैं-

‘हमेशा दर्द ओ गम या जख्म बनकर ही मिलो हमसे, तभी तुम बन सकोगे दिल में मेरे बैठने लायक’।

तिवारी जी की गजलों में प्रेम और त्याग की भावना बहुत ही सहज ढंग से उभर कर सामने आई है। उन्होंने समाज के लोगों के मीठेपन में छुपे बैमानी के भावों को पकड़ा ही नहीं, उसे शब्दों के दर्द में बहाया भी है। वे समाज के नौजवानों को प्रेरित करते हुए, निरंतर सत्य और अहिंसा के रास्ते का अनुकरण करने की बात कहते हैं, लेकिन, एक शर्त के साथ। एक स्थान पर उनका एक शे’र मुझे बहुत पसंद आया-

‘तू अहिंसा, प्रेम की बातें करेगा कब तलक, दोस्ती के नाम पर घाते सहेगा कब तलक’।

इसका अर्थ यह नहीं है कि गजलकार समाज के प्रति विद्रोही हो गया है, नहीं वह शरीफ़ लोगों को सचेत कर नए आदर्शवाद की स्थापना की बात करता है, जहाँ कम से कम अपनी मर्यादा की रक्षा सभी कर सकें। कहीं-कहीं जब निराशा का भाव पैदा भी होता है तो वह ‘नहीं है आग सीने में न आँखों में कोई सपना’ कह कर बात करते हैं। उनकी ग़जलों में माँसल और रुहानियत का भाव भी उभरता नजर आता है। समाज ही एक ऐसा केंद्र है जहाँ से पारिवारिक रिश्तों की टूटन और अनजान लोगों के अपनत्व का भाव शेयरों में यत्र-तत्र उभरा है।

‘काट कर के सर मेरा तू तो बहुत पछतायेगा, राज मैं भी जानता था राज ये खुल जायेगा’।

गजलकार जब भी समाज की विसंगतियों को नंगी आँखों से देखता है तो राजनीति के कुरूप चेहरे से आहत होता लगता है।

‘बागवां ने ही लगा दी आग जब फुलवारी में, सिसकियों को कौन फिर बदलेगा अब किलकारी में’।

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि विजय तिवारी जी ने जीवन के प्रत्येक भाव और पक्ष को बहुत बारीकी से उठाकर मुलायम शब्दों में अभिव्यक्त किया है। मैं उनके लिखे प्रत्येक शे’र को इस सलीके से पढ़ गया मानों यह मेरी ही पीड़ा या भाव हो। इनकी ग़जलों में सामाजिक सरोकार, टूटते रिश्ते, घृणा, ईर्ष्या, मिलना, बिछुडना, राजनीतिक गिरावट, नफ़रत, भ्रष्टाचार, धोखा, प्रेम, फ़र्ज आदि भावों को मुखर किया है। ग़जलें निश्चित रूप से पाठकों के मन में उतरने का दम रखती हैं। मैं गजलकार के प्रति अपनी मंगलकामनाएं पेश करता हूँ।

आपका स्नेही
डॉ रामेश्वर सिंह
अध्यक्ष, रूसी भारतीय मैत्री संघ ‘दिशा’ मास्को (रूस)
—————————————————–
कवि परिचय
———————

-विजय तिवारी
जन्म तिथि: 2 अगस्त
जन्म स्थान: अहमदाबाद
वृत्ति: स्वैच्छिक निवृति लेकर पूर्णतः
साहित्य को समर्पित।
*अध्यक्ष*
*’ साहित्य सेतु परिषद ‘* ( पंजीकृत संस्था ) पूर्णतः साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्यरत है।
*प्रकाशन* :
— *निर्झर* संग्रह सन् 1991, ध्रुव प्रकाशन, अहमदाबाद।
— *’फल खाए शजर’* ग़ज़ल संग्रह, सन् 1999,ध्रुव प्रकाशन, अहमदाबाद। ( हिन्दी साहित्य अकादमी एवं दि अखिल भारतीय सद्भावना ट्रस्ट द्वारा पुरस्कृत )
— *’आक़ा बदल रहे हैं ‘* ग़ज़ल संग्रह, सन् 2017, ( हिन्दी साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत)
— *’ साहित्य, साहित्यकार और वैश्विक धरोहर ‘* लेख संग्रह, सन् 2019, ( हिन्दी साहित्य अकादमी के सहयोग से प्रकाशित)
— देश की लगभग सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं एवं दो दर्जन से अधिक काव्य संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित।
— हिन्दी समिति *( इंग्लैंड)* का मुख पत्र *’ पुरवाई ‘*, *नॉर्वे* से अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका *’ स्पाईल ‘*, *अमेरिका* से प्रकाशित *’विश्व विवेक ‘* और *’ विश्वा ‘*, *कैनेडा* से प्रकाशित *’ हिन्दी चेतना ‘* में रचनाओं का प्रकाशन।
*सम्पादन* :
—— गुजरात हिन्दी विद्यापीठ का मासिक मुखपत्र *’ रैन बसेरा ‘* का सम्पादन।
——- *’ धरा से गगन तक ‘* भारत सहित विश्व के दस राष्ट्रों के हिन्दी कवियों का सर्वप्रथम अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी काव्य संकलन।
*सम्मान-पुरस्कार*
—–हिन्दी साहित्य परिषद की ओर से सर्वश्रेष्ठ काव्य के लिए सन् 1992 में गुजरात के तत्कालीन राज्यपाल महामहिम डॉ स्वरूप सिंह द्वारा प्रथम पुरस्कार पदक प्राप्त। श्रेष्ठ काव्य के लिए सन् 1993 में राज्यसभा की सदस्या श्री उर्मिलाबहन पटेल द्वारा पुरस्कार पदक प्राप्त।
—– *’ साहित्य सृजन सम्मानश्री ‘* 1997, नागपुर , *’ साहित्य श्री सम्मान ‘* 1998 , गुना (मप्र), *’साहित्य गौरव’* 1998 , बिजनौर, (उप्र) , *’ साहित्य शिरोमणि सम्मान ‘* 1998 , जालौन, (उ प्र), *’लेखक श्री सम्मान’* 1998 , बैतूल, (म प्र), *’काव्य वैभव श्री सम्मान’* 1998 ,नागपुर, (महाराष्ट्र), *’ साहित्य सिंधु’* 1999, बैतूल, (मप्र), *’रामचेत वर्मा गौरव पुरस्कार ‘* 1999, अहमदाबाद, *’ सुधा वाणी सम्मान ‘* 1999, अहमदाबाद, *’कविवर मैथिलीशरण गुप्त सम्मान’* 2000, मथुरा (उप्र), *’श्री सम्मान’* 2018, क्रान्तिधरा साहित्य अकादमी, मेरठ, (उ प्र), *’ज्ञानरत्न सम्मान’* 2019, वीर भाषा हिन्दी साहित्य विद्यापीठ, मुरादाबाद, (उप्र), *’हिन्दी साहित्य भूषण’* 2019, साहित्य मण्डल, श्री नाथद्धारा ( राजस्थान), *’काव्य शिरोमणि’* 2019, श्री श्रीसाहित्य सभा, इन्दौर (मप्र), *’बेकल उत्साही स्मृति सम्मान’* के बी हिन्दी साहित्य समिति बदायूँ, (उप्र), *’भाषा सहोदरी हिन्दी सम्मान’* 2019, दिल्ली, *’शायर हफीज़ मेरठी स्मृति सम्मान’* 2019, क्रान्तिधरा मेरठ साहित्य अकादमी, मेरठ, (उप्र), *’विशिष्ट प्रतिभा सम्मान’* 2019 , दिल्ली, *’श्रेष्ठ प्रतिभा सम्मान’* 2020, हिन्दी साहित्य अकादमी, अहमदाबाद, (गुजरात), *’ श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान’* 2020,अलीराजपुर, (मप्र), *’अखिल भारतीय मेधावी सृजन अवार्ड’* 2020, वर्धा (महाराष्ट्र)

*विशेष*
—– गुजरात राज्य शाला पाठ्यपुस्तक मंडल द्वारा राज्य के हिन्दी की पाठ्यपुस्तकों में रचनाएँ प्रकाशित।
—– गुजरात राज्य शाला पाठ्यपुस्तक मंडल के मान्य लेखक, सम्पादक, समीक्षक, अनुवादक एवं प्रूफ रीडर ।
—– मंच के सफल कवि एवं कुशल संचालक ।
*अति विशेष*
—– राष्ट्र का सर्वप्रथम वेब पुस्तकालय *vtlibrary.com*
ईमेल–
vijay.tiwari1998@gmail.com
*सम्पर्क*
—– 9, माधव पार्क- 2,
माधव इंटरनेशनल स्कूल के पास, वस्त्राल रोड, वस्त्राल,
अहमदाबाद- 382418
*मोबाइल* — 9427622862

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *