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अशासकीय विद्यालयों में 1200 पद हुए समाप्त, माध्यमिक शिक्षक संघ ने जताया आक्रोश

-उत्तराखंड माध्यमिक शिक्षक संघ जनपद देहरादून की गुरुवार को एमकेपी इंटर कालेज में बैठक हुई। जिलाध्यक्ष संजय बिजलवान व जिलामंत्री अनिल नौटियाल के नेतृत्व में हुई बैठक में शिक्षकों व विद्यालयों की विभिन्न समस्याओं पर चर्चा हुई

देहरादून (dehradun)। अशासकीय विद्यालयों (added schools) में तीन साल से खाली पड़े 1200 पदों को समाप्त कर दिया गया है। वहीं, उत्तराखंड माध्यमिक शिक्षक संघ (Uttarakhand madhyamik shikshak sangh) ने पद समाप्त करने पर आक्रोश व्यक्त किया।

उत्तराखंड माध्यमिक शिक्षक संघ की जनपद देहरादून की गुरुवार को एमकेपी इंटर कॉलेज में बैठक हुई। जिलाध्यक्ष संजय बिजलवान (district president sanjay bijalwan) ने कहा कि विभागीय कमी के कारण अशासकीय विद्यालयों में 1200 पद नहीं भरे जा सके। तीन साल से उक्त पद खाली पड़े थे, अब पद समाप्त कर दिए गए हैं। संघ विभाग की इस कार्रवाई का विरोध करता है। उन्होंने कहा कि डाउन ग्रेड प्रधानाचार्य के पद के लिए शिथलीकरण किया जाए। साथ ही इस पद को शत-प्रतिशत पदोन्नति का बनाया जाए ताकि किसी भी विद्यालय में प्रधानाचार्य का पद खाली न रहे। उन्होंने कहा कि तदर्थ सेवाओं को जोड़ते हुए चयन, प्रोन्नत व सेवानिवृति का लाभ शिक्षकों को दिए जाए, राजकीय शिक्षकों की तरह अशासकीय शिक्षकों को भी अटल आयुष्मान का लाभ एक जनवरी 2021 से दिया जाए। बैठक में पूर्व प्रांतीय अध्यक्ष जेपी बहुगुणा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सत्यपाल सिंह नेगी, कोषाध्यक्ष ललित मोहन सकलानी, सुरेंद्र कुमार सहगल, जेपी जगूड़ी, राजेश चंद शर्मा, आरएल उनियाल, दिनेश डोबरियाल, विकास त्यागी, गिरीश सेमवाल, विनोद पांडेय, डॉ एचके चौधरी, सीमा रस्तोगी, रेखा बंसल, निमिषा रावत, अनिता नेगी, आरडी सिंह, अश्वनी गुप्ता, विजय प्रसाद भट्ट, संजीव जोशी , एसपी ममगाईं, नरेश टम्टा, मनमोहन मठपाल, नरेश कोटनाला, वीपी जंगवान, डीएस कंडारी आदि मौजूद रहे।

नौटियाल ने रखा समितियों के गठन का प्रस्ताव

जिलामंत्री अनिल नौटियाल (district secretary Anil Nautiyal) ने जनपद के शिक्षकों की समस्याओं के लिए विभिन्न समितियों, शासन से संबंधित, विभाग संबंधित, तदर्थ सेवाओं से संबंधित व विधि सलाह समिति के गठन का प्रस्ताव रखा। उनका प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास किया गया। प्रत्येक समिति में एक संयोजक, जिलाध्यक्ष, जिलामंत्री, वरिष्ठ सदस्य व समस्या से संबंधित दो सदस्य होंगे। कई पूर्व पदाधिकारियों व जनपद से आये सभी इकाई अध्यक्ष व मंत्रियों ने भी अनुदान समाप्ति व तदर्थ सेवाओं से जुड़े मामलों पर विचार रखे।

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