सरकार को अल्टीमेटम: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद बोली… एक हफ्ते में भंग करो देवस्थानम बोर्ड
-श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने कहा कि सत्ता पक्ष के कई विधायक भी बोर्ड बनने के खिलाफ हैं। देवस्थानम बोर्ड भंग करने को लेकर सरकार को 30 नवंबर तक का समय दिया जा रहा है। इस अवधि में सरकार अगर उनकी मांग पर सकारात्मक पहल नहीं करती है तो संतों को आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
शब्द रथ न्यूज, ब्यूरो (Shabd Rath News)। उत्तराखंड में देवस्थानम बोर्ड भंग करने की मांग फिर जोर पकड़ने लगी है। तीर्थ पुरोहितों के साथ ही अब अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने बोर्ड भंग करने की मांग की है। परिषद ने उत्तराखंड सरकार को एक हफ्ते का अल्टिमेटम दिया है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी (महानिर्वाणी) ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड भंग करने की मांग को लेकर अखाड़ा परिषद संतों को साथ लेकर गैरसैंण में विधानसभा सत्र के दौरान विरोध प्रदर्शन करेगा। उससे पहले अखाड़ा परिषद मुख्यमंत्री को लिखित ज्ञापन सौंपेगा और बोर्ड बनने से प्रभावित पुरोहितों से मिलेगा। विधानसभा अध्यक्ष को भी ज्ञापन सौंपा जाएगा।
श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने कहा कि सत्ता पक्ष के विधायक भी बोर्ड बनने के खिलाफ हैं। देवस्थानम बोर्ड भंग करने को लेकर सरकार को 30 नवंबर तक का समय दिया जा रहा है। इस अवधि में सरकार यदि उनकी मांग पर सकारात्मक पहल नहीं करती है तो संतों को आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
श्रीमंहत रविंद्र पुरी ने कहा कि साधु समाज ने कुंभ के दौरान तत्कालीन भाजपा के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को देवस्थानम बोर्ड को भंग कर हक-हुकूकधारियों व ब्राह्मणों को उनका हक/सम्मान देने की बात कही थी। लेकिन, भाजपा सरकार ने इस मांग पर विचार नहीं किया। साधु समाज राज्य सरकार से मांग करता है कि 30 नवंबर तक सरकार देवस्थानम बोर्ड को भंग करे। उन्होंने कहा कि इसके लिए वह फिर से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से मिलकर मांग पत्र सौंपेंगे।
मठ-मंदिरों की व्यवस्थाओं में हस्तक्षेप से सरकार को बचना चाहिए
श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने कहा कि सरकार को मठ-मंदिरों की सदियों से चली आ रही व्यवस्थाओं में हस्तक्षेप से बचना चाहिए। संत समाज व पुराहितों की ओर से परंपराओं के अनुसार समाज हित के लिए मठ-मंदिरों का संचालन किया जाता है। मठ-मंदिरों के अधिग्रहण के विरोध में रविवार को अखिल भारतीय संत समिति के दिल्ली में आयोजित धरने में संत समाज ने इस मांग को प्रमुखता से उठाया। निर्णय लिया गया कि इस संबंध में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री व संबंधित राज्यों के राज्यपाल और मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा जाएगा।
मठ-मंदिरों का अधिग्रहण करने के बजाए उनके संचालन में सहयोग
अखाड़ा परिषद के कोषाध्यक्ष श्रीमहंत जसविंद्र सिंह ने कहा कि अधिग्रहित मठ-मंदिर मामले में अखाड़ा परिषद के पदाधिकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से जल्द मुलाकात करने दिल्ली जाएंगे। अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत राजेंद्र दास ने कहा कि सरकारों को मठ-मंदिरों का अधिग्रहण करने के बजाय उनके संचालन में संत समाज का सहयोग करना चाहिए। मठ-मंदिरों से होने वाली आय को संत समाज शिक्षा, चिकित्सा जैसे सेवा प्रकल्पों पर खर्च करता है। इससे समाज के जरूरतमंद वर्ग को लाभ मिलता है।
मुख्यमंत्री देवस्थानम बोर्ड को निरस्त करने की घोषणा करें
श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने कहा कि देश के सभी राज्यों में जितने भी मठ मंदिरों का अधिग्रहण सरकार ने किया हुआ है, ऐसे सभी मठ मंदिरों को सरकार के अधिग्रहण से मुक्त करने के लिए सरकार को 25 दिसंबर तक ठोस निर्णय लेने को कहा गया है। यदि सरकार ऐसा नहीं करती तो साधु समाज इस विषय पर बड़ा आंदोलन करने को मजबूर होगा। श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने कहा कि जिस प्रकार तीनों कृषि कानून निरस्त करने का ऐलान कर प्रधानमंत्री ने सराहनीय निर्णय लिया है। उसी प्रकार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विधानसभा के आगामी सत्र में विधेयक लाकर देवस्थानम बोर्ड को निरस्त करने की घोषणा करें।