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अमर जवान ज्योति का इसलिए हुआ राष्ट्रीय समर स्मारक ज्योति में विलय

-इंडिया गेट को अंग्रेजों ने ब्रिटिश भारत की ओर से लड़ते हुए शहीद हुए 90 हजार भारतीय सैनिकों की याद में 1931 में बनाया था। जबकि, पाकिस्तान पर 1971 के युद्ध की जीत व बांग्लादेश की आजादी के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शहीदों की याद में 1972 के गणतंत्र दिवस पर इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति प्रज्जवलित की थी।

शब्द रथ न्यूज, ब्यूरो (shabd rath news)। इंडिया गेट पर 50 वर्ष से जल रही अमर जवान ज्योति का केंद्र सरकार ने शुक्रवार को राष्ट्रीय समर स्मारक ज्योति में विलय कर दिया है। विपक्ष सरकार ने उस निर्णय की आलोचना कर रहा है। जबकि, सरकार के इसको लेकर कई तर्क हैं।

बांग्लादेश की आजादी के बाद बनी अमर जवान ज्योति

पाकिस्तान पर 1971 के युद्ध की जीत व बांग्लादेश की आजादी के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शहीदों की याद में 1972 के गणतंत्र दिवस पर इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति प्रज्जवलित की थी। इंडिया गेट को अंग्रेजों ने ब्रिटिश भारत की ओर से लड़ते हुए शहीद हुए 90 हजार भारतीय सैनिकों की याद में 1931 में बनाया था। यह सैनिक फ्रांस, मेसोपोटामिया, पर्शिया, पूर्वी अफ्रीका, गैलिपोली, अफगानिस्तान, दुनिया के कई अन्य हिस्सों में लड़े थे। यहां 13 हजार शहीद सैनिकों के नाम दर्ज हैं।

अमर जवान ज्योति

काले मार्बल के चबूतरे, उस पर संगीन युक्त एल1ए1 सेल्फ लोडिंग राइफल और उस पर रखे हेलमेट को शहीदों की अंतिम याद की तरह देखा जाता है। यहां चार कलश हैं, इसमें चार ज्योतियां जलती हैं। सामान्य दिनों में एक और राष्ट्रीय पर्वों पर चारों ज्योतियां जलाई जाती हैं। पहले ज्योति लिक्विड पेट्रोलियम गैस से जलाई जाती थी। 2006 से पीएनजी उपयोग होने लगी।

नये युद्ध स्मारक में 26 हजार 466 शहीदों के नाम दर्ज

इंडिया गेट के नजदीक 2019 में मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय स्मारक का लोकार्पण किया। यहां 26 हजार 466 शहीदों के नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हैं। 40 एकड़ में फैले इस स्मारक को चार चक्रों में बांटा गया है रक्षा, त्याग, वीरता और अमर चक्र। अमर चक्र में 2019 से अमर ज्योति जलाई जा रही है।

28 फुट ऊंची होगी प्रतिमा, देश नेताजी का ऋणी: मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर नेताजी की प्रतिमा स्थापना के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि ये इस बात का प्रतीक है कि देश नेताजी के प्रति ऋणी है। अधिकारियों का कहना है कि इस प्रतिमा की स्थापना के जरिये भारत अपने इतिहास पर फिर से अपना दावा साबित करेगा। प्रतिमा एक छतरी के नीचे स्थापित की जाएगी, जहां पहले किंग जॉर्ज पंचम की प्रतिमा हुआ करती थी जिसे 1968 में हटा दिया गया था।

गृह मंत्री अमित शाह का ट्वीट

गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया कि यह नेताजी को अनुकूल श्रद्धांजलि है। कांग्रेस ने उन्हें भुलाने का कोई प्रयास नहीं छोड़ा था। वहीं, नेताजी की बेटी अनीता बोस ने कहा कि मैं खुश हूं। अचानक हुई ये घोषणा चौंकाने वाली है। ये थोड़ा पहले होता तो और अच्छा होता।

सरकार का कहना, बुझाई नहीं… स्थानांतरित की अमर जवान ज्योति

अमर जवान ज्योति का नए राष्ट्रीय समर स्मारक की ज्योति में विलय हुआ है, इसे बुझाया नहीं गया। इंडिया गेट उपनिवेशवादी दौर की पहचान है। इंडिया गेट पर लिखे शहीदों के नाम स्मारक पर भी दर्ज हैं, इसलिए शहीदों को समर्पित ज्योति स्मारक पर जलनी चाहिए। कई पूर्व सेनाध्यक्ष भी ऐसा चाहते हैं कि शहीदों से जुड़े कार्यक्रम समर स्मारक पर ही हों। सैन्य अधिकारी, भारतीय व विदेशी नेता श्रद्धांजलि देने स्मारक पर आते हैं।

बहुत ही दुख की बात है कि वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी, वह आज बुझ जाएगी। कुछ लोग देशभक्ति और बलिदान को नहीं समझ सकते, कोई बात नहीं। हम अपने जवानों के लिए एक बार फिर अमर जवान ज्योति जलाएंगे।

राहुल गांधी, कांग्रेस नेता

ज्योति बुझाए जाने की बात पूरी तरह झूठी है। कांग्रेस बताए कि छह-सात दशक में शहीदों के सम्मान में स्थायी स्मारक क्यों नहीं बनाया गया। इंडिया गेट पर आजाद भारत के लिए लड़ने वाले एक भी सैनिक का नाम नहीं है।

राजीव चंद्रशेखर, केंद्रीय कौशल विकास व उद्यमिता राज्य मंत्री

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