कोरोना की आयुर्वेद दवा के ट्रायल पर दून मेडिकल कालेज व आयुर्वेद विवि ने लगाया ग्रहण
-राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय पौड़ी के मेडिकल ऑफिसर डॉ राजेश अधाना ने कोविड-19 के इलाज के लिए दवा तैयार की है। उनके प्रस्ताव को केन्द्र व राज्य सरकार ने पास कर लिया। प्रस्ताव पास होने पर दवा का ट्रायल होना था। दून मेडिकल कॉलेज और उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यायल को ट्रायल के लिए प्रस्ताव भेजा गया। लेकिन, दोनों जिम्मेदार संस्थानों में डेढ़ साल से मामला लटका हुआ है।
शब्द रथ न्यूज, ब्यूरो (shabd rath news)। कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान ने आयुर्वेद औषधि (दवा) को अप्रूवल दी है। संस्थान से उसे बाकायदा अपनी सूची में शामिल किया है। लेकिन, दून मेडिकल कॉलेज (उत्तराखंड) और उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में उसी औषधि की अप्रूवल डेढ़ साल से लटकी या लटकाई हुई है। पिछले डेढ़ साल से दवा के ट्रायल को अप्रूवल नहीं मिल पाई। आयुर्वेद दवा के ट्रायल का मामला आज भी कागजों में सफर कर रहा है।
राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय पौड़ी के मेडिकल ऑफिसर डॉ राजेश अधाना ने तीन दवाओं (shadanga paneeya, vyoshdi vati and vaysthapan vati) के मिश्रण से कोविड-19 के इलाज के लिए दवा तैयार की। उन्होंने अपना प्रस्ताव केन्द्र व राज्य सरकार को भेजा। दोनों सरकारों ने प्रस्ताव पास कर लिया। प्रस्ताव पास होने पर दवा का ट्रायल होना था। दून मेडिकल कॉलेज और उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यायल को ट्रायल के लिए प्रस्ताव भेजा गया। लेकिन, दोनों जिम्मेदार संस्थानों में डेढ़ साल से मामला लटका हुआ है। डेढ़ साल से दून मेडिकल कॉलेज, आयुर्वेद विश्वविद्यालय और डॉ राजेश अधाना के बीच कागजों का खेल जारी है। लेकिन, नतीजा आज भी शून्य है। यदि दवा का ट्रायल हो जाता और वह सफल हो जाती तो निश्चय ही यह उत्तराखंड के लिए विश्व स्तर पर बड़ी उपलब्धि होती।
कॉलेज की एथिकल कमेटी में नहीं कोई आयुर्वेद का विशेषज्ञ
दवा का ट्रायल एलोपैथिक अस्पताल (कोविड सेंटर) में होना था। इसलिए दून मेडिकल कालेज को ट्रायल के लिए लिखा गया। मेडिकल कॉलेज ने अपनी एथिकल कमेटी को मामला भेजा। कमेटी ने प्रोजेक्ट पर कई तरह की आपत्तियां लगाते हुए प्रोजेक्ट रद करने के अंदाज में डॉ राजेश अधाना। गौरतलब यह भी है कि आयुर्वेद दवा के ट्रायल के लिए गठित कमेटी में दो सदस्य आयुर्वेद (विशेषज्ञ) से जुड़े होने चाहिए थे। लेकिन, कॉलेज की एथिकल कमेटी में आयुर्वेद का कोई विशेषज्ञ नहीं था। यह समझ से परे है कि जिस दवा को अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान कोविड-19 के इलाज के लिए अप्रूव कर रहा है, उस पर दून मेडिकल कालेज व उत्तराखंड आयुर्वेद विश्व विद्यालय क्यों ऑब्जेक्शन लगा रहे हैं।
दून मेडिकल कॉलेज और आयुर्वेद विवि नहीं गंभीर
डॉ राजेश अधाना ने बताया कि कोविड-19 के इलाज की दवा के लिए उन्होंने प्रोजेक्ट तैयार किया था। प्रोजेक्ट में उनके साथ डॉ आशुतोष चौहान और प्रो हारून अली भी शामिल है। इलाज के लिए आयुर्वेद की तीन दवा तय की गई थी। लेकिन, दवा के ट्रायल को अप्रूवल नहीं मिली। दून मेडिकल कालेज को सभी जानकारियां उपलब्ध कराई गई। वेद, पुराण से लेकर आयुर्वेद से जुड़े सभी प्रमाण (दस्तावेज) दिए जा चुके है, फिर भी ट्रायल की अनुमति नहीं मिली। वहीं, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति अरुण कुमार त्रिपाठी को प्रोजेक्ट दिया गया। विश्वविद्यालय ने एथिकल कमेटी को मामला भेजा। कमेटी के चेयरमैन डॉ अनूप गक्खड़ ने यह कहकर प्रोजेक्ट को अप्रूवल देने से इंकार कर दिया कि प्रोजेक्ट में आयुर्वेद विवि से कोई शामिल नहीं है। जबकि, प्रोजेक्ट में शामिल डॉ आशुतोष चौहान व प्रो हारून अली उत्तराखंड आयुर्वेद विवि के हैं। फिर नए कुलपति डॉ सुनील जोशी आए तो उन्हें प्रोजेक्ट दिया गया। उन्होंने सलाह दी कि प्रोजेक्ट में एक और आयुर्वेद विशेषज्ञ को शामिल किया जाए। डॉ जोशी की सलाह पर डॉ राधा बल्लभ सती को भी प्रोजेक्ट में शामिल कर लिया गया। लेकिन, इसके बावजूद पांच महीने से उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में फाइल अटकी हुई है। उन्होंने बताया कि अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान ने कोविड-19 के इलाज लिए प्रोटोकोल जारी किया है, उसने दो वही दवा (shadanga paneeya, vyoshdi vati) शामिल हैं, जिनके ट्रायल को दून मेडिकल कालेज ने अप्रूवल नहीं दी। यदि प्रपोजल पास हो जाता तो अब तक आयुष का फार्मूला भी तैयार हो जाता।
————————————————-
कोविड-19 के इलाज लिए आयुर्वेद दवा को लेकर हमने बहुत मेहनत की। लेकिन, दवा के ट्रायल को अप्रूवल नहीं मिल पाई।
डॉ आशुतोष चौहान, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय
———————————————-प्रोजेक्ट कहां रुका हुआ है, यह देखना पड़ेगा। हमारे स्तर की बात होगी तो तुरंत अप्रूवल मिलेगा।
डॉ सुनील जोशी, कुलपति
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय
———————————————-मैंने कोशिश की थी कि प्रोजेक्ट पास हो जाय। लेकिन, एथिकल कमेटी को उसमें कई खामियां मिली। डॉ राजेश अधना को उन्हें पूरी करने के लिए कहा गया था, वह पूरी नहीं हुई। डॉ अधाना बताई गई कमियां पूरी कर देंगे तो प्रपोजल फिर एथिकल कमेटी को भेजा जाएगा।
डॉ आशुतोष सायना, प्रधानाचार्य
दून मेडिकल कालेज, देहरादून, उत्तराखंड