बदरीनाथ धाम में कवि सम्मेलन, चार पुस्तकों का हुआ लोकार्पण
हिमालयन साहित्य एवं कला परिषद् श्रीनगर गढ़वाल की ओर से बदरीनाथ धाम में आयोजित किया गया त्रिदिवसीय हिंदी साहित्योत्सव
शब्द रथ न्यूज (ब्यूरो)। तीर्थ धाम बदरीनाथ में हिमालयन साहित्य एवं कला परिषद् श्रीनगर गढ़वाल की ओर से त्रिदिवसीय हिंदी साहित्योत्सव आयोजित किया गया। हिंदी पखवाड़े के तहत आयोजित त्रिदिवसीय महोत्सव में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन और चार पुस्तकों का लोकार्पण हुआ। देश के विभिन्न क्षेत्रों से पधारे साहित्यकारों ने साहित्यिक महोत्सव में प्रतिभाग करने के साथ ही बदरीनाथ मंदिर में भगवान बदरी विशाल के भी दर्शन किए।
हिंदी साहित्योत्सव का शुभारंभ (पहले दिन) कवि सम्मेलन के साथ हुआ। वरिष्ठ रंगकर्मी विमल बहुगुणा और शिक्षाविद्/साहित्यकार डॉ इंद्रजीत सिंह के साथ कवियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। श्रीनगर गढ़वाल से आए व्यंग्य के पुरोधा कवि नीरज नैथानी, गाजियाबाद से ओजस्वी कवि अरविन्द पथिक, देहरादून से आमंत्रित सुविख्यात कवि/गीतकार वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ” व शाइर लक्ष्मी प्रसाद बडोनी ‘दर्द गढ़वाली’, देवप्रयाग से डॉ महेश नौडियाल, श्रीनगर गढ़वाल से माधुरी नैथानी, देवेश्वरी सेमवाल, अजय चौधरी, प्रो आरपी थपलियाल व डॉ प्रकाश चमोली ने काव्य पाठ कर सभी का मन मोह कर वाहवाही बटोरी। श्रोताओं ने कवियों गीत, छंदों का खूब आनंद लिया। संचालन कवि देवेंद्र उनियाल और जेके पैन्यूली ‘माटी’ ने किया।
हिंदी साहित्योत्सव के दूसरे दिन का शुभारंभ समारोह श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी विजय थपलियाल (युवा पीसीएस अधिकारी), उद्भट संस्कृत विद्वान धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, नक्षत्र वेधशाला देवप्रयाग के निदेशक डॉ प्रभाकर जोशी आदि ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। वहीं, संस्कृत विद्यालय के सम्मानित प्राचार्य, विद्यार्थियों, पंडा, पुरोहितों, डिमरी पुजारियों ने स्वाति वाचन व मंगलाचरण सभागार को मांगलिक प्रेक्षागृह में परिवर्तित कर दिया। दूसरी तरफ, माधुरी नैथानी, रक्षा उनियाल, मीनाक्षी चमोली और देवेश्वरी सेमवाल ने मांगल और सरस्वती वंदना की।
इसके बाद कवि, साहित्यकार व पर्वतारोही नीरज नैथानी की पुस्तक ‘हिमालयी रोमांच’ (यात्रा वृत्तांत), उत्तर-प्रदेश के झांसी निवासी डॉ. दीपक द्विवेदी के दो काव्य संग्रह ‘मैं प्रेम हूं’ व ‘प्रेम सारावली’ और हरदोई के कवि हृदय साहित्यकार अरविन्द मिश्रा की पुस्तक ‘श्री गुरु चरणों में लोकार्पण हुआ। डॉ चरण सिंह केदारखंडी ने दोनों रचनाकारों की पुस्तकों की समीक्षा की।
नक्षत्र वेधशाला देवप्रयाग के निदेशक डॉ प्रभाकर जोशी ने कहा कि विश्व के प्रथम रचित साहित्य वेदों की पुण्य धरा श्री बद्रिकाश्रम में साहित्यिक आयोजन कर हिमालयन साहित्य एवं कला परिषद् श्रीनगर ने यह अनूठा कीर्तिमान स्थापित किया है।
प्रभाकर बाबुलकर ने कहा कि श्रीनगर की संस्था में धर्मस्थली में साहित्य की नयी ज्योत प्रज्ज्वलित की है। आशा करता हूं कि भविष्य में भी निश्चित रूप से इस प्रकार के आयोजन यहां होते रहेंगे।
शिक्षाविद्/साहित्यकार डॉ इन्द्रजीत सिंह ने कहा कि मेरा मानना है कि कविता की सीपी में यदि संवेदना का मोती नहीं है तो कविता उदात्त नहीं होती और दिल के द्वार पर दस्तक नहीं दे पाती l सभी कवियों ने सामाजिक सरोकार , सत्य और संवेदना से लबरेज़ अर्थपूर्ण और हृदयस्पर्शी रचनाएँ प्रस्तुत कर हम सभी को समृद्ध किया। नीरज नैथानी की पुस्तक “हिमालयी रोमांच” सचमुच रोमांच और उत्सुकता पैदा करती है l आनंद , रोमांच , रोचकता , साधारणीकरण और पठनीयता की कसौटी पर खरी किताब है l डॉ दीपक द्विवेदी के कविता संग्रह “मैं प्रेम हूँ” और “ प्रेम सारावली” कुछ पृष्ठ पढ़े l अंग्रेज़ी के सुप्रसिद्ध विश्वकवि टी एस एलियट द्वारा बताई गई उदात्त कविता की तीन कसौटियों- आनंद, चेतना का विकास और संवेदना का परिष्कार पर चौबीस कैरेट खरी साबित होती है l
“हिमालयी रोमांच” के लेखक नीरज नैथानी की पुस्तक ने पुस्तक के जुडे संस्मरण सुनाए। भगवान बदरी विशाल की भूमि पर पुस्तक लोकार्पण पर वह भावुक भी हो गए। उन्होंने कहा कि भगवान बदरीनाथ के प्रति उनकी अनन्य श्रद्धा है। उनका की आशीष रहा कि हम इस पावन भूमि पर आयोजन कर पाए।
डॉ दीपक द्विवेदी में कविता संग्रह “मैं प्रेम हूँ” और “ प्रेम सारावली” की रचनाओं के बारे बताया। डॉ द्विवेदी ने साहित्य लेखन में आने का रोमांचक किस्सा भी सुनाया। प्रेम पर उनकी कविताओं की खूब तारीफ हुई।
इस अवसर पर देवप्रयाग पंडा समाज के पदाधिकारी व सदस्य मदन लाल डंगवाल, प्रवीण ध्यानी, दुर्गा ध्यानी, संतोष ध्यानी, सुधाकर बाबुलकर, विजय पालीवाल, विनोद पंडित, अंकित ध्यानी, अशोक टोडरिया, मुकेश कोटियाल, राकेश पालीवाल, नरेश कुंवर, डिमरी पंचायत के सम्मानित सदस्य गणेश डिमरी, देबू डिमरी, सिंगरौली मध्य प्रदेश पधारीं सुप्रसिद्ध भागवताचार्या विजय लक्ष्मी शुक्ला, हरदोई के सुखदेव पांडेय सरल, वीरेन्द्र डंगवाल ‘पार्थ”, देशपाल सिंह नेगी, अजय चौधरी, आरपी कपरवाण, पीयूष उनियाल, दीवान सिंह रावत, कामेंद्र सिंह, संस्कृत विद्यालय के वेदपाठी विद्यार्थियों के साथ ही हिमालयन साहित्य एवं कला परिषद् श्रीनगर गढ़वाल के सदस्य मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन कवि/साहित्यकार देवेन्द्र उनियाल और जयकृष्ण पैन्यूली ने संयुक्त रूप से किया।
समारोह में आए सहभागियों ने भगवान बदरी नारायण ने दर्शन किए। कुछ सहभागी माता मूर्ति की धार्मिक यात्रा में भी शामिल हुए। इसके बाद सहभागियों ने माणा और बामणी गांव, श्री गणेश गुफा, श्री व्यास गुफा, सरस्वती नदी, भीम पुल व समीपस्थ स्थलों का भ्रमण किया।