एक कर्मयोगी का गांव आदर्श बखरोटी गांव! जहां कोई भी नहीं करता था मदिरा पान, धूम्रपान और मांसाहार
जगदीश ग्रामीण
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– बखरोटी गांव समाजसेवी रहे स्वर्गीय बलदेव प्रसाद जोशी की जन्मभूमि है, उनकी कर्मभूमि है। आज इस गांव का खंडहर में तब्दील हो जाना दुखद है
टिहरी गढ़वाल जनपद में एक गांव है बखरोटी। यह गांव स्वर्गीय बलदेव प्रसाद जोशी की जन्मभूमि है, उनकी कर्मभूमि है। आज भले ही यह गांव खंडहर में तब्दील हो गया है। लेकिन, इसकी माटी के कण-कण से आज भी स्वर्गीय बलदेव प्रसाद जोशी के आदर्शों, संस्कारों, समाजोपयोगी कार्यों की खुशबू आ रही है।
स्वर्गीय बलदेव प्रसाद जोशी ने जीवन भर खादी का प्रचार-प्रसार किया, चरखा चलाया, खादी के वस्त्र पहने। गांव वालों को भी प्रेरित किया। मद्य निषेध के लिए गांव-गांव पैदल जाकर जन जागरण किया। भोगपुर, थानों, रानीपोखरी आदि क्षेत्रों में बच्चों की टोलियां लेकर नारे लगाते हुए वे पैदल चलते थे। बखरोटी गांव आदर्श गांव कहलाता था। इस गांव में कोई भी व्यक्ति मदिरापान, मांसाहार, धूम्रपान नहीं करता था। इस गांव के लोगों से रिश्ता करने के लिए लोग बहुत डरते थे। क्योंकि, गांव के आदर्शों, संस्कारों के साथ घुलना-मिलना सरल नहीं था, इतना सहज नहीं था। लेकिन, जो परिवार इस गांव के वाशिन्दों से नाते-रिश्ते में जुड़ जाता था वह इनके जैसा ही संस्कारित हो जाता था। बलदेव प्रसाद जोशी स्वयं शिक्षक थे। उन्होंने उस कठिन दौर में भी शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए और संस्कारों के प्रचार-प्रसार के लिए धरातल पर काम किया। उनके परिवार में अधिकांश लोग शिक्षक हैं। गांव में भी अधिकांश लोग शिक्षक हैं। इस गांव का कोई भी व्यक्ति आपको ऋषिकेश, देहरादून या अन्य स्थानों पर जहां भी मिलेगा आज भी नई पीढ़ी में भी वही संस्कार वही आदर्श आपको देखने को मिलेंगे। इस सबका श्रेय जाता है कर्मयोगी बलदेव प्रसाद जोशी को। वे जीवनभर समाज सुधार के लिए समर्पित होकर धरातल पर कार्य करते रहे। गांव की माटी से प्रेम करने वाले सज्जन अंतिम दिनों में अस्वस्थ हुए तो उनके परिवार के लोग उनको रानीपोखरी लाए और वहीं उन्होंने अंतिम सांस ली। स्वर्गीय जोशी के कार्यों की चर्चा आज भी हर महफिल में हर चौपाल में होती है।
किंतु दु:खद यह है कि स्वर्गीय जोशी की कर्मभूमि आज खंडहरों में तब्दील हो गई है। हालांकि उनके द्वारा लगाए गए पौधे, उनके द्वारा सींचे गए पौधे आज यौवन पर हैं। जीवनभर समाज के लिए अपना क्षण-क्षण देने वाले धरातलीय कर्मयोगी स्वर्गीय बलदेव प्रसाद जोशी को यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी कि हम उनकी कर्मभूमि को खंडहरों से मुक्ति दिलाकर पुनः इस गांव को आबाद करें, रोशन करें। इस गांव को, इस धरोहर को बचाया जाना चाहिए। स्वर्गीय बलदेव प्रसाद जोशी की इस कर्मभूमि को देखने जो भी व्यक्ति जाएगा, निश्चित रूप से वह इस महापुरुष के कार्यों से प्रेरित होकर समाज को लाभान्वित करेगा।
मैं तो यह भी कहना चाहता हूं कि उनकी इस कर्मभूमि को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए। इसका रखरखाव किया जाए। आने वाली पीढ़ी उनके योगदान को स्मरण करेगी और लाभान्वित होगी।
40 परिवारों का गांव अब खंडहर
बखरोटी गांव देहरादून ऋषिकेश मार्ग पर वीरपुर बड़कोट (निकट रानीपोखरी-डांडी) से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ग्राम पंचायत कोडारना का यह गांव जनपद टिहरी गढ़वाल के अंतर्गत आता है। विकासखण्ड फकोट और तहसील नरेंद्रनगर है। 2014 में आबादी रहित हो गया था। पहले इस गांव में लगभग 40 परिवार रहते थे। वर्तमान में खंडहर है।