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बनभूलपुरा अतिक्रमण मामला: उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में तैनात अधिवक्ता को हटाया

-अपर सचिव न्याय सुधीर कुमार सिंह ने अधिवक्ता अत्रैय को पत्र जारी कर शासन की कार्रवाई से अवगत करा दिया है।पत्र में कहा गया है कि उन्होंने सरकार में स्वयं प्रभावी पैरवी व बहस नहीं की। दायर वाद की सही जानकारी न दिए जाने और राज्य सरकार के निर्देश के बिना वहां पक्ष रख दिया गया।

उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में तैनात एडवोकेट ऑन रिकार्ड-सह स्थायी अधिवक्ता अभिषेक अत्रैय को हटा दिया है। उन पर हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण मामले में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर वाद में सुप्रीम कोर्ट के सामने प्रभावी पैरवी न करने का आरोप है।

नैनीताल हाईकोर्ट ने रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे। कोर्ट के फैसले के खिलाफ बनभूलपुरा निवासी अब्दुल मतीन सिद्दीकी सुप्रीम कोर्ट चले गए थे। उन्होंने उत्तराखंड सरकार को भी पार्टी बनाया था। रेलवे मंत्रालय का मामला होने पर सरकार इस मसले में तटस्थ रहने का प्रयास करती रही। लेकिन, मामला कोर्ट में जाने के बाद उसे अपना पक्ष रखना पड़ा।

मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। राज्य की ओर से कोर्ट में जो पक्ष रखा गया, उससे सरकार असहज है। अपर सचिव न्याय सुधीर कुमार सिंह ने अधिवक्ता अत्रैय को पत्र जारी कर शासन की कार्रवाई से अवगत करा दिया है।पत्र में कहा गया है कि उन्होंने सरकार में स्वयं प्रभावी पैरवी व बहस नहीं की। दायर वाद की सही जानकारी न दिए जाने और राज्य सरकार के निर्देश के बिना वहां पक्ष रख दिया गया। कोर्ट में रखे गए पक्ष का पत्र में उल्लेख किया गया है। कहा गया है कि सरकार में कहा गया कि मामले में उचित समाधान के लिए प्रयास जारी है। इस तरह के कथन से राज्य सरकार के लिए असहज स्थिति पैदा हो गई। सह स्थायी अधिवक्ता अत्रैय से सभी वादों की सूची भी मांग ली गई है।

 बनभूलपुरा का ये है मामला

हाईकोर्ट ने 20 दिसंबर को रेलवे की भूमि से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे। 28 दिसंबर को रेलवे-प्रशासन की टीम पिलरबंदी करने पहुंची तो बनभूलपुरा के हजारों लोगों ने 10 घंटे धरना दिया। 29 दिसंबर को बनभूलपुरा क्षेत्र की हजारों महिलाओं ने कैंडल मार्च निकाला। 30 दिसंबर को बनभूलपुरा क्षेत्र में आमसभा हुई। 31 दिसंबर को रेलवे ने अखबारों में अतिक्रमण हटाने का सार्वजनिक नोटिस जारी किया। दो जनवरी को रेलवे ने मुनादी की। दो जनवरी को बनभूलपुरा मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुई। पांच जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने स्टे दे दिया।

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