भगवान शिव की ही तरह प्रत्येक मनुष्य को त्रिनेत्रधारी बनने का करना चाहिए प्रयास
भगवद चिन्तन… श्रावण मास शिव तत्व
इस श्रावण मास में भगवान शिव के जीवन से एक और प्रेरणा लेकर अपने जीवन को दिव्य और दैवीय बनाने का प्रयास करते हैं। प्रत्येक मनुष्य को भगवान शिव की ही तरह त्रिनेत्रधारी बनने का प्रयास करना चाहिए। दो चक्षु बाहरी सृष्टि के लिए और एक चक्षु अंतर्दृष्टि के लिए। जब तक हमारे पास भीतरी दृष्टि नहीं होगी तब तक हम अपने जीवन का ठीक-ठीक मूल्यांकन करने में सफल नहीं हो पायेंगे। भीतरी दृष्टि ज्ञान की दृष्टि है। भीतरी दृष्टि विवेक की दृष्टि है।
दो आँखों से जगत को देखो और तीसरी आँख से जगत का मूल्यांकन करो। क्या हमारे हित में है और क्या हमारे अहित में है? क्या हमारे लिए कल्याण कारक है और क्या हमारे लिए अनिष्टकारी है? बाहरी दो आँखों से जगत का उपभोग करो मगर भीतरी तीसरी विवेक रूपी आँख से जो अकल्याणकारक है, अरिष्टकारक है, उद्वेगकारक है और जीवन के उत्थान में बाधक है, उसका प्रतिरोध करना भी सीखो यही त्रिनेत्रधारी भगवान शिव के तीसरे नेत्र का रहस्य है।