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किस्मत के भरोसे सफलता प्राप्त करने से बढ़कर कोई दूसरी नासमझी नहीं…

भगवद चिन्तन

आज का आदमी मेहनत पर कम और किस्मत पर ज्यादा विश्वास रखता है। किसी की शानदार कोठी देखकर कई लोग कह उठते हैं कि काश अपनी किस्मत भी ऐसी होती। लेकिन, वे लोग तब यह भूल जाते हैं कि ये शानदार कोठी, शानदार गाड़ी उसे किस्मत ने ही नहीं दी।अपितु, इसके पीछे उसकी कड़ी मेहनत भी रही है। किस्मत से मिलता अवश्य है। मगर, केवल उतना मेहनत करने वाले जितना छोड़ दिया करते है।

अत: ये नहीं कहा जा सकता कि किस्मत का कोई स्थान ही नही, कोई महत्व ही नहीं, किस्मत का भी अपना महत्व है। मेहनत करने के बाद किस्मत पर आश रखी जा सकती है। मगर, खाली किस्मत के भरोसे सफलता प्राप्त करने से बढ़कर कोई दूसरी नासमझी नहीं हो सकती है।

दो अक्षर का होता है “लक”, ढाई अक्षर का होता है “भाग्य”, तीन अक्षर का होता है “नसीब”। लेकिन, चार अक्षर के शब्द मेहनत के चरणों में ये सब पड़े रहते हैं।

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