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भगवद चिन्तन: अवसरों का इंतजार मत करो अपितु अवसरों का निर्माण करो …

भगवद चिन्तन … प्रतिकूलता

जीवन की जो भी परिस्थितियाँ हमारे अनुकूल नहीं रहीं, हमने चाहे कितना भी कष्ट उन क्षणों में क्यों न पाया हो। लेकिन, वस्तुतः सत्य यही है कि उन्हीं क्षणों ने हमें आगे बढ़ाया होगा और जीवन के वास्तविक सत्य का अनुभव कराया होगा।

प्रतिकूल पलों में व्यक्ति के सोचने और करने का एक अद्भुत स्तर हो जाता है। सम्मान भी आगे बढ़ने को प्रोत्साहित करता है। लेकिन, कभी गहराई से विचार करना, कोई आपके अस्तित्व को चुनौती दे तो आप पूरी निष्ठा से अपने आप को सिद्ध करने में लग जाते हो।

हम सड़क पर चलते हैं। कितने भीड़ और वाहन चल रहे होते हैं, फिर भी हम सावधानी पूर्वक अपनी गाड़ी को अपने गन्तव्य तक पहुँचा ही देते हैं। आदमी सदैव सोचता है, मैं कैसे करूँ। समय मेरे अनुकूल नहीं है? अवसरों का इंतजार मत करो अपितु अवसरों का निर्माण करो।

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