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भगवद चिन्तन: न भय में रहो, न निराशा में और न अविश्वास में …

भगवद चिन्तन … मनुष्यता

जगत में सर्वश्रेष्ठ व्यक्तित्व यदि किसी के पास है तो वह मनुष्य है। वह न केवल स्वयं के जीवन को आंनद और उल्लास के शिखर पर पहुँचाने में समर्थ है अपितु समस्त प्रकृति, समस्त जीव-जंतु और समस्त वातावरण को भी आंनद देने में समर्थ है।

इंसान की उपलब्धियाँ आश्चर्यचकित करने वाली हैं। अपने प्रचुर आत्मबल के बल पर उसने बहुत सारी समस्याओं को सुलझाया है। लेकिन, हैरानी की बात यह है दुनिया की बड़ी से बड़ी समस्या को सुलझाने की समझ और सामर्थ्य रखने वाला मनुष्य पिछले कुछ समय से खुद अकारण की ऐसी गुत्थियों में उलझा पड़ा है, जो सुलझने में नहीं आ रहीं हैं।

समस्याएं वास्तव में इतनी बड़ी हैं कि उनका हल संभव नहीं है या मनुष्य ने समस्याओं के आगे समर्पण कर दिया है। अध्यात्म व्यक्ति के आत्मबल को बढ़ाता है और निराशा को समाप्त करता है। न भय में रहो, न निराशा में और न अविश्वास में। अभी बहुत सृजन आपके द्वारा होना है।

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