कोई भी काम करने से पहले उसके परिणाम का विचार कर लेना बुद्धिमानी
भगवद चिन्तन
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ऐसे कर्म न करो जिससे कि आपको दूसरों की नजरों से गिरना पड़े, क्योंकि पहाड़ से गिरकर फिर उठा जा सकता है। लेकिन, नजरों से गिरकर उठना आसान नहीं।
जिस प्रकार महल बनाने में वर्षों लग जाते हैं। लेकिन, उसे ध्वस्त करने के लिए एक क्षण पर्याप्त होता है। ठीक इसी प्रकार चरित्र निर्माण में तो वर्षों लग जाते हैं। लेकिन, चरित्र के पतन होने में भी एक क्षण मात्र लगता है। ऐसे में मनुष्य को दूसरे की चरित्र की समीक्षा के बजाय अपने चरित्र की समीक्षा करनी चाहिए।
हर कार्य को करने से पहले उसके परिणाम का विचार कर लेना बुद्धिमानों का लक्षण है और कार्य कर लेने के बाद परिणाम पर विचार करना मूर्खों का। अत: परिणाम के बाद नहीं अपितु कार्य करने के पहले सोचने की आदत बनाओ ताकि आपकी गिनती भी बुद्धिमानों में हो सके।