Fri. Nov 22nd, 2024

भगवद चिन्तन: बंदरों की तरह होते हैं दुःख

भगवद चिन्तन … जागृति

प्रकृति का एक शास्वत नियम है, यहाँ सदैव एक-दूसरे द्वारा अपने से दुर्बलों को ही सताया जाता है और अक्सर अपने से बलवानों को उनसे कुछ गलत होने के बावजूद भी छोड़ दिया जाता है।

दुःख के साथ भी ऐसा होता है, जितना आप दुखों से भागने का प्रयास करोगे उतना दुःख तुम्हारे ऊपर हावी होते जायेंगे। स्वामी विवेकानंद जी कहा करते थे कि दुःख बंदरों की तरह होते हैं जो पीठ दिखाने पर पीछा किया करते हैं और सामना करने पर भाग जाते हैं।

समस्या चाहे कितनी बड़ी क्यों न हो मगर, उसका कोई न कोई समाधान तो अवश्य ही होता है। समस्या का डटकर सामना करना सीखो क्योंकि समस्या मुकाबला करने से दूर होगी मुकरने से नहीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *