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संगति ही हमारे विचारों व जीवन को अच्छा और बुरा बनाती है …

भगवद् चिंतन … पवित्रता

जीवन निर्माण में विचारों व संगति की बहुत बड़ी भूमिका होती है। संगति हमारे विचारों का निर्धारण करती है और विचारों से ही हमारे व्यक्तित्व व जीवन का निर्माण होता है।

जीवन में केवल हमारी क्रिया से ही दूसरों का जीवन प्रभावित नहीं होता अपितु दूसरों की क्रियाओं से हमारा जीवन भी प्रभावित होता है। हमारे जीवन की बुराई से ही हमारा जीवन बुरा नहीं बन जाता अपितु दूसरों के जीवन की बुराई देख-देखकर भी हमारा चित्त मलीन व जीवन विकारयुक्त बन जाता है।

जिस प्रकार आप जो करते हैं उसका असर आपके साथ-साथ आपके संपर्क में आने वाले लोगों पर भी पड़ता है। ठीक इसी प्रकार आपके संपर्क में आने वाले दूसरे लोग जो जो करेंगे उसका असर आपके व्यक्तिगत जीवन पर भी अवश्य पड़ने वाला है।

चंदन वृक्ष की संगति से सामान्य वृक्षों में सुगंधी आने लग जाती है और दूध की संगति से पानी का भाव भी बढ़ जाता है। इसी प्रकार से जीवन में आपका परिवेश, आपका संग, आपका समाज आपके जीवन को मूल्यवान अथवा निर्मूल्य बना देता है। पवित्र जीवन के लिए पवित्र विचार व पवित्र विचारों के लिए पवित्र परिवेश का होना भी अति आवश्यक है।

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