स्वयं की चिंता को त्यागकर स्वयंभू के चिंतन का नाम ही अध्यात्म
भगवद चिन्तन … आध्यात्मिकता
अध्यात्म कायरों और अकर्मण्यों का मार्ग नहीं अपितु कायरता और अकर्मण्यता का त्याग करने वालों का मार्ग है। अधिकांशतया लोगों की दृष्टि में अध्यात्म का मतलब सिर्फ वह मार्ग है जहाँ से कायर लोग अपनी जिम्मेदारियों से बचना चाहते हैं।
अध्यात्म का मतलब छोटी जिम्मेदारियों से बचना तो नहीं मगर, छोटी-मोटी जिम्मेदारियों का त्यागकर एक बड़ी जिम्मेदारी उठाने का साहस करना जरूर है। सोचो! अध्यात्म अगर कमजोर लोगों का ही मार्ग होता तो फिर बालपन में ही शेर के दाँत गिन लेने की सामर्थ्य रखने वाले आचार्य महावीर और आचार्य बुद्ध जैसे लोग इस पथ से न गुजरे होते।
स्वयं की चिंता को त्यागकर स्वयंभू (शंभू) के चिंतन का नाम ही अध्यात्म है और स्वयं के कष्टों का विस्मरण कर सृष्टि के कष्टों के निवारण की यात्रा ही वास्तविक अध्यात्मिक यात्रा है।