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भगवद चिन्तन: दुनिया में बाँटकर जीना सीखो बंटकर नहीं

भगवद चिन्तन … जीवन आनंद

जीवन बोध में जीना सीखो विरोध में नहीं। एक सुखप्रद जीवन के लिए इससे श्रेष्ठ कोई दूसरा उपाय नहीं हो सकता। जीवन अनिश्चित है और जीवन की अनिश्चितता का मतलब यह है कि यहाँ कहीं भी और कभी भी कुछ हो सकता है।

यहाँ आया प्रत्येक जीव बस कुछ दिनों का मेहमान से ज्यादा कुछ नहीं है, इसीलिए जीवन को हंसी में जिओ, हिंसा में नहीं। चार दिन के इस जीवन को प्यार से जिओ, अत्याचार से नहीं। जीवन आनंद के लिए ही है, इसीलिए इसे मजाक बनाकर नहीं मजे से जिओ।

इस दुनिया में बाँटकर जीना सीखो बंटकर नहीं। जीवन वीणा की तरह है, ढंग से बजाना आ जाए तो आनंद ही आनंद है।

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