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पुरुषार्थ के आगे विवश होकर फल देने के लिए बाध्य हो जाता है भाग्य

भगवद चिन्तन … पुरुषार्थ

दुनिया के महान व्यक्ति केवल इसीलिए सफल हो पाए क्योंकि वो प्रत्येक क्षण अपने उद्देश्य में, संकल्प में संलग्न रहे। अपने लक्ष्यों के प्रति हमेशा सजग रहो। कल के लिए कार्यों को कभी भी मत टालो। समय अनुकूल न हो तो भी कर्म करना बंद मत करो। कर्म करने पर तो हार या जीत कुछ भी मिल सकती है पर कर्म न करने पर केवल हार ही मिलती है ।

पुरुषार्थी के पुरुषार्थ के आगे तो भाग्य भी विवश होकर फल देने के लिए बाध्य हो जाता है। प्रत्येक बड़ा आदमी कभी एक रोता हुआ बच्चा था। प्रत्येक भव्य इमारत सफ़ेद पेपर पर कभी मात्र कल्पना थी। यह मायने नहीं रखता कि आज आप कहाँ हैं? महत्वपूर्ण ये है कि कल आप कहाँ होना चाहते हैं?

भगीरथ तो देवलोक से गंगा जी को ले आये थे जमीन पर। समय व्यर्थ मत गवाओ, अपने प्रयत्न जारी रखो, सफलता बाँह फैलाकर आपका स्वागत करने के लिए खड़ी है।

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