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भगवद् चिंतन: गुरु की परम कृपा ही जीवन उत्थान व जीवन कल्याण का मूल

भगवद् चिंतन … गुरु पूर्णिमा संदेश

माँ जन्म देती है और सद्गुरु जीवन देते हैं। माँ व्यक्ति को जन्म देती है और सद्गुरु व्यक्तित्व को जन्म देते हैं। सद्गुरु तो उन भगवान भुवन भाष्कर की तरह हैं, जिनके आते ही जीवन की सारी कालिमा मिट जाती है और जीवन में सत्य का प्रकाश फैल जाता है।

जीवन के श्रेष्ठत्व, जीवन के दैवत्व को बिना गुरु के मार्गदर्शन के कभी भी प्राप्त नहीं किया जा सकता है। सद्गुरु भगवान की वाणी शिल्पी की छैनी के समान है, जिसके एक-एक प्रहार से पत्थर को भी ईश्वर के रूप में गढ़ा जाता है। जो हमारे रूप और स्वरूप दोनों को निखारकर नाशवान जीवन को भी प्रतिष्ठावान जीवन बना देती है।

गुरु कृपा के बिना कोई भी विद्या फलित नहीं होती है। गुरु चरणों के आश्रय से ही अर्जुन और एकलव्य जैसे शिष्यों का निर्माण संभव हो पाता है। गुरु पूर्णिमा का पावन दिन उन्हीं सद्गुरु देव भगवान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का है।

अंत में केवल इतना ही

किमत्र बहुनोक्तेन शास्त्रकोटि शतेन च। दुर्लभा चित्त विश्रान्तिः विना गुरुकृपां परम्।।

बहुत कहने से भी क्या होगा? करोडों शास्त्रों के अध्ययन से भी क्या होगा? क्योंकि चित्त की परम् शांति गुरु के बिना मिलना दुर्लभ है। गुरु की परम कृपा ही जीवन उत्थान व जीवन कल्याण का मूल है।

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