धरती पर भगवान शिव जैसा कृपालु, दयालु कोई दूसरा देव नहीं
भगवद चिन्तन… शिव तत्व
श्रावण मास कल (14 जुलाई) से प्रारम्भ हो गया है। इस धरती पर भगवान शिव जैसा कृपालु, दयालु कोई दूसरा देव नहीं है। जल, दूध, वेल पत्र, प्रणाम मात्र से ही ये प्रसन्न होकर मनवांछित फल दे देते हैं। यद्यपि स्वयं अभाव में, फकीरी में रहते हैं। लेकिन, भक्तों के अभाव और कष्टों को हर लेते हैं।
भगवान् शिव को महाकाल भी कहा जाता है। संहार करने वाला, विध्वंश करने वाला भी कहा जाता है। इसे समझने की आवश्यकता है। ब्रह्मा जी जन्म देते हैं, भगवान विष्णु पालन करते हैं, भगवान शिव मिटाते हैं। विध्वंश भी तो सृजन का ही हिस्सा है। चीजें न मिटेंगी तो नयी प्रगट कैसे होंगी? मृत्यु भी तो जन्म का ही एक अंग है।
पुरानी चीजें अगर न मिटेंगी तो प्रकृति में नवीनता न रह पायेगी? मिटने के स्वभाव के कारण ही हर चीज पुनः नई लगने लगती है। शिव सृजन के लिए ही विध्वंश करते हैं। श्रावण मास में शिव जी को जल जरूर चढ़ाएं, दुग्धाभिषेक करें। ये श्रावण मास आपको प्रभु चरणों में श्रद्धा और विश्वास देने के साथ-साथ आपकी भक्ति का वर्धन करने वाला भी हो।
पावन श्रावण मास के शुभागमन की आप सभी को अनंत शुभकामनाएं एवं मंगल बधाई।