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श्रावण मास शिव तत्व: सम्मान करना सीखो, क्योंकि सम्मान दिए बिना किसी को सम्मान नहीं मिलता

भगवद चिन्तन … श्रावण मास शिव तत्व

प्रत्येक वस्तु अथवा व्यक्ति को सम्मान देने की आदत समाज में दूसरों की नजरों में आपके सम्मान को बढ़ा देती है। यदि तिरस्कृतों से, उपेक्षितों से और परित्यक्तों से भी आपके हृदय में प्रेम है तो निश्चित ही ऐसा उदार व्यक्तित्व समाज में पूजनीय बन जाता है।

जरा भगवान शिव के जीवन को इस दृष्टि से भी एक नजर निहार लेते हैं। यहाँ धतूरे को स्थान है। यहाँ भाँग और आक जैसै दुर्गंध युक्त वस्तुओं को स्थान तो है ही, है साथ में कालकूट विष का को भी स्थान है।

यहाँ सर्प जैसे जन्मजात जहरीले प्राणी को भी स्थान है। इतना ही नहीं यहाँ भूत प्रेतों को भी स्थान है। जीवन तो ऐसा ही हो, जहाँ सबकी स्वीकारोक्ति हो। तिरस्कार और उपेक्षा करने से दूरियाँ और बढ़ जाती हैं, परिवार हो चाहे समाज। स्वीकार कर लेने से ही सृजन के रास्ते जन्म लेते हैं।

सबका सम्मान करना सीखो। क्योंकि सम्मान दिए बिना किसी को सम्मान नहीं मिला करता। प्राणी मात्र से प्रेम और प्राणी मात्र का हित ही शिव बनने का एकमात्र रास्ता है।

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