शक्ति का सही दिशा में प्रयोग ही पुन्य है और गलत दिशा में प्रयोग पाप
भगवद चिन्तन … श्रावण मास-शिव तत्व
श्रावण मास में शिव पूजन करते समय चिन्तन करें कि भगवान् शिव अपने हाथ में त्रिशूल रखते हैं। इसका क्या सन्देश है? तीन विकारों को नियंत्रित करता है ये त्रिशूल, काम-क्रोध और लोभ। “तात तीन खल अति प्रवल काम क्रोध और लोभ”
काम-क्रोध-लोभ को पूरी तरह समाप्त तो कदापि नहीं किया जा सकता पर, नियंत्रित जरूर किया जा सकता है। इनको साधा जा सकता है। क्रोध तो शिवजी को भी आता है लेकिन, क्षण विशेष के लिए। कामदेव को भस्म करते समय क्रोधित हुए पर जब कामदेव की पत्नि रति आई तो उसे देखकर द्रवित हो गए। शक्ति का सही दिशा में प्रयोग ही पुन्य है और गलत दिशा में प्रयोग ही पाप है। शिव जी ने अपनी ऊर्जा को नियंत्रित कर रखा है। ऊर्जा का नियंत्रण ही साधना है और यही योग है।