आवेश में लिये गये निर्णय बनते हैं सदैव पश्चाताप का कारण
आज का भगवद् चिंतन
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मनुष्य मन के संकल्प और विकल्प पानी के बुलबुले की तरह ही एक क्षण में बनते और दूसरे ही क्षण में फूट भी जाने वाले अर्थात् मिट जाने वाले हैं। इसलिए हमारे महापुरुषों ने निर्णय दिया है कि कभी बुरा करने का विचार आये तो कल पर टालो और कभी अच्छा करने का विचार आये तो अभी कर डालो।
तात्कालिक आवेश में लिये गये निर्णय सदैव पश्चाताप का कारण बनते हैं। इसलिए किसी भी कार्य को करने से पहले विवेक पूर्वक निर्णय लेना बुद्धिमत्ता मानी गई है। शास्त्रों और संतों का मत है कि किसी भी प्रकार के निर्णय में कभी भी जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। प्रत्येक कार्य को अच्छे से सोचकर ही करना चाहिए। लेकिन, जब कार्य अच्छा ही हो तब ज्यादा सोचना भी नहीं चाहिए।
कभी मन में अच्छे संकल्पों के बीज अंकुरित हो जाएं तो उन्हें कल पर भी नहीं टालना चाहिए क्योंकि मानव मन की स्थिति सदैव एक जैसी नहीं रहती। हो सके जो शुभ संकल्प अभी मन में आया हो वह कल नहीं भी आये।
और ऐसे ही कभी बुरे विचार मन में आने लगे तो वहाँ त्वरित क्रिया की जगह थोड़ी देर के लिए उस कार्य को टाल देना चाहिए क्योंकि अच्छे विचार यदि बार-बार नहीं आते तो सच्चाई ये भी है कि बुरे विचार भी बार-बार नहीं आते। अच्छे को आज करो और बुरे को कल पर टाल दो ये भी सुखी और सफल जीवन की एक कुंजी है।