हाँ भगवान शिव भी नशा करते हैं मगर केवल और केवल प्रभु नाम का नशा… राम नाम का नशा…
भगवद चिन्तन… श्रावण मास शिव तत्व
आओ इस श्रावण मास में भगवान शिव से जुड़े एक सबसे बड़े मिथक पर चिंतन करते हैं। वर्तमान समय का एक बहुत बड़ा दुर्भाग्य यह है कि बहुत सारे लोगों द्वारा भगवान शिव के नाम पर भाँग, गांजा जैसे तमाम तरह का नशा खुद तो किया ही जाता है मगर दूसरों को भी भोले बाबा का प्रसाद कहकर कराया जाता है। क्या वास्तव में भगवान शिव नशा करते होंगे? हाँ भगवान शिव भी नशा करते हैं मगर केवल और केवल प्रभु नाम का नशा, राम नाम का नशा।
भगवान शिव का नाम भोलेनाथ और आशुतोष भी है। अतिशीघ्र अनायास और अकारण प्रसन्न होने वाले देव हैं, इसलिए शास्त्रों ने आज्ञा की कि शिव तो इतने भोले हैं कि एक विल्वपत्र, एक लोटे पानी और राख भी कोई उनके ऊपर डाल दे तो प्रसन्न हो जाते हैं। इतना ही नहीं भांग के पत्ते जिन्हें पशु तक भी नहीं खाते और धतूरे का वह फल जिसे कोई पक्षी तक चोंच नहीं मारते, भी यदि उन भोलेनाथ को अर्पित कर दिया जाता है तो उन आशुतोष प्रभु द्वारा उसका भी प्रसन्न मन से कल्याण कर दिया जाता है।
भगवान भोलेनाथ के प्रसाद के नाम से प्रचलित इस नशा की कुप्रथा का सभी शिव भक्तों द्वारा पुरजोर विरोध किया जाना चाहिए। नशा करने वाले का कभी भी कल्याण संभव ही नहीं, अब वह भले ही भोले बाबा अथवा देवी माँ के प्रसाद के नाम से ही क्यों न किया जाए। अगर तनिक भी कल्याण की चिंता हो तो शिव के नाम पर नशा नहीं अपितु शिव के नाम का नशा करो। अंत में सार केवल इतना ही कि भक्ति का नशा करो, नशे की भक्ति कदापि नहीं।