Tue. Nov 26th, 2024

भलाई करने से मंगल आशीष व पुण्य स्वयं ही मिल जाते हैं

भगवद् चिंतन
———————————-

जिस प्रकार फूलों के पौधे लगाने पर खुशबू और सौंदर्य अपने आप मिल जाता है, फलदार पेड़ लगाने से फल और छाया अपने आप मिल जाती है। उसी प्रकार भलाई करने से मंगल आशीष एवं पुण्य अपने आप प्राप्त हो जाते हैं।

आपके द्वारा संपन्न ऐसा कोई शुभ और सद्कार्य नहीं, जिसके परिणामस्वरूप प्रकृत्ति ने आपको उचित पुरस्कार देकर सम्मानित न किया जाए। कुँआ खोदा जाता है तो फिर प्यास बुझाने के लिए कोई अतिरिक्त प्रयास नहीं करना पड़ता। क्योंकि कुँए का खोदा जाना ही एक तरह से प्यास बुझाने के लिए पानी की उपलब्धता भी है।

जब-जब आपके द्वारा किसी की भलाई के लिए निस्वार्थ भाव से कोई कार्य किया जाता है, तब-तब आपके द्वारा वास्तव में अपनी भलाई की ही आधारशिला रखी जा रही होती है। हमारे द्वारा किसी बैंक में संचित अर्थ वास्तव में बैंक के प्रयोग लिए नहीं होता अपितु वो स्वयं की निधि स्वयं के खाते में स्वयं के प्रयोग के लिए ही होता है।

ठीक ऐसे ही जब हमारे द्वारा किसी और की भलाई हो रही होती है तो वास्तव में वो किसी और की नहीं अपितु हमारी स्वयं की भलाई हो रही होती है। आज तुम किसी जरूरतमंद के लिए सहायक बनोगे तो जरूरत पड़ने पर कल आपकी सहायता और सहयोग के लिए भी कई हाथ खड़े होंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *