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सफलता साथ में अभिमान भी लेकर आती है …

भगवद चिन्तन

सफलता अकेले नहीं आती, वह अपने साथ अभिमान को लेकर भी आती है और यही अभिमान हमारे दुखों का कारण बन जाता है। ऐसे ही असफलता भी अकेले नहीं आती, वह भी अपने साथ निराशा को लेकर आती है और निराशा प्रगति पथ में एक बड़ी बाधा उत्पन्न कर देती है।

यद्यपि योग शब्द बहुत ही व्यापक है। तथापि दुख, कटुवचन और अपमान सहने की क्षमता का विकास व सुख, प्रशंसा और सम्मान पचाने की सामर्थ्य से बढ़कर गृहस्थ धर्म में कोई दूसरा योग नहीं है।

माना कि सर्दी बहुत ज्यादा है। लेकिन, सर्दी को कोसने से भला फायदा भी क्या होगा? फायदा तो इसमें है कि हम गर्म कपड़े पहन लें, इससे सर्दी का एहसास भी कम होगा। अकारण सर्दी को कोसने से भी बचेंगें। यह आपके जीवन को सुगम बनाने के लिए एक योग नहीं तो क्या है?

अत: हर स्थिति का मुस्कुराकर सामना करने की क्षमता, किसी भी स्थिति को अच्छी या बुरी न कहकर समभाव में रहते हुए अपने कर्तव्य पथ पर लगातार आगे बढ़ना। यही तो गीता का योग है।

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