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स्वच्छ विचार ही श्रेष्ठ आचरण को जन्म देते हैं …

भगवद् चिन्तन

स्वामी विवेकानंद जी कहा करते थे कि जब इंसान को गंदे और मैले कपड़े पहनने में शर्म लगती है तो गंदे व मैले विचारों को रखने में भी शर्म जरूर आनी चाहिए।

हमारे जीवन निर्माण में विचारों की बहुत अहम भूमिका होती है। जितने स्वच्छ हमारे विचार होंगे, निसंदेह उतना स्वच्छ हमारा जीवन भी होगा। मैले और गंदे आवरण से परहेज रखना अच्छा है, मगर मैले और गंदे आचरण से परहेज रखना उससे भी महत्वपूर्ण है। विचारों से ही हमारे आचरण का निर्माण होता है। स्वच्छ विचार ही श्रेष्ठ आचरण को जन्म देते हैं।

विचारों की दुषिता का प्रभाव हमारे जीवन की धवलता को उसी तरह सौंदर्य विहीन कर देता है, जिस तरह काला रंग सफेद कागज को। जीवन के गुलदस्ते में गंदे विचार काले रंग के समान हैं जो उसकी खूबसूरती को नष्ट कर देते हैं।

खूबसूरत विचारों के अभाव में जीवन खूबसूरत कैसे हो सकता है..? अतः कपड़ों को स्वचछ रखने का सदैव प्रयास करते हो, ऐसे ही विचारों को स्वच्छ रखने के लिए भी सदैव प्रयासरत रहें। क्योंकि, तन से ज्यादा मन की और चेहरे से ज्यादा चरित्र की स्वच्छता जीवन को श्रेष्ठ बनाती है।

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