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राष्ट्र की उन्नति ही हमारी स्वयं की उन्नति भी है …

भगवद् चिंतन

हमारे लिए राष्ट्र हित सर्वोपरि होना चाहिए। किसी भी राष्ट्र का उत्थान उसके नागरिकों द्वारा राष्ट्र के प्रति निष्ठावान व कर्तव्यपरायणता की भावना में ही निहित है। राष्ट्र की उन्नति ही हमारी स्वयं की उन्नति भी है।

किसी राष्ट्र के नागरिकों की ऊर्जा राष्ट्र निर्माण में लगकर ही एक वैभवशाली राष्ट्र का निर्माण संभव हो पाता है। एक राष्ट्र का पतन वहाँ सुनिश्चित है, जहाँ उसके नागरिकों के द्वारा राष्ट्रहित से ज्यादा स्वयं के हितों की चिंता की जाती है।

हमारे गणतंत्र दिवस की सफलता इसी में है कि हम सबके भीतर राष्ट्र प्रेम का भाव जन्म ले सके। क्योंकि, राष्ट्र प्रेम की भावना ही राष्ट्र उत्थान के साथ-साथ स्व-उत्थान की भावना भी है।

माँ भारती की सेवा में सतत संलग्न वीर सैनिकों को प्रणाम करते हुए, माँ भारती की रक्षा में अपने प्राणों का बलिदान देने वाले उन वीर सपूतों को बार-बार नमन, जिन्होंने इस माँ भारती के वैभव को सदा सर्वदा ऊँचा और अमर बनाए रखा। आओ राष्ट्र हित में अपने अपने निजीं स्वार्थों की आहुतियां देते हुए गणतंत्र को सफल बनायें।

जय हिंद ! जय भारत ! जय जवान !

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