चिन्ता स्वयं में एक मुसीबत है और चिन्तन उसका समाधान …
भगवद चिन्तन
मनुष्य जीवन जीने के दो रास्ते हैं, चिन्ता और चिन्तन। यहाँ पर कुछ लोग चिन्ता में जीते हैं और कुछ चिन्तन में। चिन्ता में हजारों लोग जीते हैं और चिन्तन में दो-चार लोग ही जी पाते हैं।
चिन्ता स्वयं में एक मुसीबत है और चिन्तन उसका समाधान। आसान से भी आसान कार्य को चिन्ता मुश्किल बना देती है और मुश्किल से मुश्किल कार्य को चिन्तन बड़ा आसान बना देता है।
जीवन में हमें इसलिए पराजय नहीं मिलती कि कार्य बहुत बड़ा था अपितु हम इसलिए परास्त हो जाते हैं कि हमारे प्रयास बहुत छोटे थे। हमारी सोच जितनी छोटी होगी, हमारी चिन्ता उतनी ही बड़ी होगी। वहीं, हमारी सोच जितनी बड़ी होगी, हमारे कार्य करने का स्तर भी उतना ही श्रेष्ठ होगा।
यदि आप आध्यात्मवादी हैं तो फिर चिन्तन करिए। उस पावन प्रभु का जो बिन चाहे ही हम आप सब की चिन्ताओं का हरण कर लेते हैं। सच कहूँ तो प्रभु नाम में विश्वास से बढ़कर कोई श्रेष्ठ चिन्तन नहीं और चिन्ता का निवारण भी नहीं है।