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काश बहिनों के लिए भी साल में एक त्यौहार पुरुष लोग मनाएं… 

भगवद चिन्तन 

नारी के प्रेम और सम्मान को स्मरण कराता एक और पर्व भाई दूज। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भाई दूज के दिन बहुत समय से बिछुड़े सूर्य पुत्र यम और सूर्य पुत्री यमुना जी का मिलन हुआ था। कभी अपनी रक्षा के संकल्प लिए भाई के हाथों पर रक्षा सूत्र बाँधने वाली नारी आज भाई के माथे पर तिलक कर उसे यम पाश से मुक्त कराने तक की अपनी सामर्थ्य का परिचय देती है। भाई के सुखद जीवन के लिए भगवान से प्रार्थना कर बहिन सदैव उसका मंगल ही चाहती है।

माँ, पुत्री, पत्नी, बहिन और भी कई रूपों में नारी का पूरी मनुष्य जाति के लिए जो प्रेम, त्याग, समर्पण है वह अकथनीय है। पति के लिए करवाचौथ, पुत्र के लिए अहोई अष्टमी और अब भाई की रक्षा और सलामती के लिए भैया दूज। धन्य है इस नारी के लिए, पूरे साल पुरुषों के लिए व्रत, पूजा, प्रार्थना, उनकी सलामती के लिए कुछ न कुछ करती रहती हैं। मै सोचता हूँ काश बहिनों के लिए भी साल में एक त्यौहार पुरुष लोग मनाएं।

गली मोहल्ले, गाँव, नगर, शहर सब जगह एक ही चर्चा हो और वो हो बहिनों की सुरक्षा की। बहिनों की तरफ कोई आँख उठाकर देखने की हिम्मत न कर सके। बहिनों को आरक्षित नहीं सुरक्षित करने के अभियान चलें। ऐसा त्यौहार जिस दिन देश में मनेगा, मुझे बहुत अच्छा लगेगा। ऐसा संकल्प लेना ही इसभाई दूज त्यौहार की सार्थकता होगी।

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