भैयादूज, जब यमराज आते हैं बहन यमुना के घर, देते हैं धन-धान्य
-भैयादूज का पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और स्नेह का प्रतीक है। बहनें भाई की लंबी उम्र, सुख और समृद्धि के लिए करती हैं भगवान से प्रार्थना
शब्द रथ न्यूज (shabd rath news)। दीपावली के पंच पर्व का पांचवां दिन यम द्वितीया और भाई दूज (Bhai Dooj) कहलाता है। आज 16 नवंबर को भाई दूज का पावन पर्व है। यह पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और स्नेह का प्रतीक है। बहनें भाई की लंबी उम्र, सुख और समृद्धि के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं। रक्षा बंधन पर बहनें अपने भाई के घर राखी बांधने जाती हैं। जबकि, भाई दूज पर भाई अपनी बहन के घर तिलक करवाने जाते हैं। भारतीय परंपरा (Indian tradition) का यह पर्व एक-दूसरे का कुशलक्षेम पूछने, दुख-सुख बांटने का सुअवसर भी है।
भाई दूज की कथा
सनातन (हिन्दू) धर्म (sanatan) की मान्यताओं के अनुसार भगवान सूर्यदेव की पत्नी का नाम छाया है। भगवान सूर्य व माता छाया के पुत्र प्राणों को हरने वाले यमराज (yamraj) और पुत्री यमुना (Yamuna) हैं। यमुना अपने भाई यमराज से बहुत प्रेम करती हैं। वह अपने भाई यमराज से आग्रह करतीं कि वो अपने मित्रों के साथ उनके घर आकर भोजन करें। लेकिन, यमराज व्यस्त होने के कारण यमुना की बात टालते रहते हैं। एक बार कार्तिक मास आया और यमुना ने एक बार फिर अपने भाई यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण दिया। इस बार यमुना ने यमराज से अपने घर आने का वचन ले लिया।
यमराज ने स्वीकार किया बहन का आमंत्रण
बहन यमुना का आमंत्रण स्वीकार करने के बाद यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं, इसीलिए कोई भी मुझे अपने घर नहीं बुलाता। मेरी बहन प्रेमवश मुझे बुला रही है तो मुझे जाना ही होगा और वचन का पालन करना होगा। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यमराज अपनी बहन यमुना के घर जाने के लिए चल दिए। यमलोक से निकलते समय वहां यातना झेल रहे सभी जीवों को मुक्त कर दिया। भाई यमराज को अपने घर में देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने स्नान ध्यान करके यमराज का टीका किया। स्वादिष्ट व्यंजन बनाए और प्रेम से उनको खिलाए।
जो भाई भैयादूज बहन से तिलक लगवाए, उसे नहीं रहता यमराज का भय
यमुना के आतिथ्य से प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना से वरदान मांगने के लिए कहा। यमुना ने कहा कि भाई आप हर साल इसी दिन मेरे घर आना। मेरी ही तरह जो भी बहन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को अपने भाई का आदर-सत्कार करके टीका करे, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज तथास्तु कहा और यमुना माता को धन-धान्य देकर यमलोक चले गए। मान्यताओं के अनुसार इसी दिन से भाई दूज त्योहार मनाया जाने लगा। ऐसी भी मान्यता है कि जो भाई, बहन का निमंत्रण स्वीकार करके भाई दूज के दिन बहन से टीका करवाता है, उसे यमराज का भय नहीं रहता है।
धार्मिक लोगों के लिए भाई दूज की पूजन विधि
भाई दूज के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। उसके बाद भाई-बहन दोनों मिलकर यमराज, यम दूतों और चित्रगुप्त की पूजा करें। सभी को अर्घ्य दें, इसके बाद अपने भाई को बहन चावल और घी का टीका लगाएं। भाई की हथेली पर पान, सुपारी, सिंदूर और सूखा नारियल रखें। भाई का मुंह मीठा करवाएं और भाई की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करें। भाई अपनी बहन को आशीर्वाद और उपहार दें।
भाई दूज का शुभ मूहूर्त
भाई दूज के दिन टीका करने का शुभ मूहूर्त सोमवार को दिन में 12:56 बजे से 3:06 बजे तक है।
अलग- अलग नाम से मनाते हैं भाई दूज
देश विदेश के विभिन्न क्षेत्रों में भाई दूज पर्व को अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। भारत में क्षेत्रीय विविधता और संस्कृति की वजह से त्योहारों के नाम थोड़े परिवर्तित हो जाते हैं, हालांकि भाव और महत्व एक ही होता है।
–पश्चिम बंगाल में भाई दूज को भाई फोटा पर्व के नाम से जाना जाता है। इस दिन बहनें व्रत रखती हैं और भाई का तिलक करने के बाद भोजन करती हैं। तिलक के बाद भाई भेंट स्वरूप बहन को उपहार देता है।
–महाराष्ट्र और गोवा में भाई दूज को भाऊ बीज के नाम से मनाया जाता है। मराठी में भाऊ का अर्थ है भाई। इस मौके पर बहनें तिलक लगाकर भाई के खुशहाल जीवन की कामना करती हैं।
-उत्तर प्रदेश में भाई दूज के मौके पर बहनें भाई का तिलक कर आब, शक्कर और सूखा नरियल देने की परंपरा है। आब देने की परंपरा हर घर में प्रचलित है
–बिहार में भाई दूज पर एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है। इस दिन बहनें भाइयों को डांटती हैं, उन्हें भला-बुरा कहती हैं और फिर उनसे माफी मांगती हैं। दरअसल, यह परंपरा भाइयों की पहले की गई गलतियों के चलते निभाई जाती है। इस रस्म के बाद बहनें भाइयों को तिलक लगाकर उन्हें मिठाई खिलाती हैं।
–नेपाल में भाई दूज पर्व भाई तिहार के नाम से लोकप्रिय है। तिहार का मतलब तिलक या टीका होता है, इसके अलावा भाई दूज को भाई टीका के नाम से भी मनाया जाता है। नेपाल में इस दिन बहनें भाइयों के माथे पर सात रंग से बना तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी आयु व सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।