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भोर आज हंस रही है शाम मुस्कुरा रही, देवभूमि आज अपनी वर्षगांठ मना रही…

जगदीश ग्रामीण
कवि/शिक्षक
टिहरी गढ़वाल
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दर्द – ए – दिल
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भोर आज हंस रही है शाम मुस्कुरा रही
देवभूमि आज अपनी वर्षगांठ मना रही।

जुगनू लेकर चले आज दीप जगमगा रहे
उम्मीदों के पुल आज दिलों को जोड़ रहे
शहीदों की शहादत सृजन गीत गा रही
भोर आज हंस रही है शाम मुस्कुरा रही।

सज रही है चौपाल उन्नत है हिम भाल
खेत खलिहान संवार रहे माटी के लाल
सबको दिन होली रात दिवाली भा रही
भोर आज हंस रही है शाम मुस्कुरा रही।

लौट आओ मेरे लाल पहाड़ की जवानी
मिलकर लिखते हैं अब एक नई कहानी
आलिंगन को आतुर बाहें तुम्हें बुला रही
भोर आज हंस रही है शाम मुस्कुरा रही।

भगीरथ बनकर कर्मपथ पर बढ़ना होगा
बडोनी जी के पदचिह्नों पर चलना होगा
पगडंडियां नित पग-पग पथ दिखा रही
भोर आज हंस रही है शाम मुस्कुरा रही।

@ राज्य स्थापना दिवस शुभकामनाएं
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सर्वाधिकार सुरक्षित।
प्रकाशित…..09/11/2020
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