कोरोना के दखल के बाबजूद पक्षी प्रेमियों के उत्साह में कोई कमी नहीं
कंजर्वेशन एंड रिसर्च फॉर एनवायरनमेंट (केयर) के सौजन्य से ‘ ‘वन्य-जीव सुरक्षा’ सप्ताह के तहत चलाए जा रहा है ‘बर्ड कॉउंट-2020’
उप प्रभागीय वनाधिकारी मनमोहन सिंह बिष्ट के नेतृत्व में विभागीय कर्मचारियों के साथ ही नामी गिरामी प्रोफेशनल बर्ड वायर्स स्थानीय कांडाताल एवं देवलसारी निवासी बर्ड-वाचर्स केशर सिंह व जितेन्द्र सिंह ने दी पक्षियों की जानकारी
कमलेश्वर प्रसाद भट्ट
राइंका बुराँसखंडा, देहरादून
नरेन्द्रनगर वन प्रभाग व सकलाना रेंज के तत्वावधान में कंजर्वेशन एंड रिसर्च फॉर एनवायरनमेंट (केयर) के सौजन्य से ‘वन्य-जीव सुरक्षा’ सप्ताह के तहत ‘बर्ड कॉउंट-2020″ अभियान चलाया जा रहा है। इस के दौरान उप प्रभागीय वनाधिकारी मनमोहन सिंह बिष्ट के नेतृत्व में विभागीय कर्मचारियों के साथ ही नामी गिरामी प्रोफेशनल बर्ड वायर्स स्थानीय कांडाताल एवं देवलसारी निवासी बर्ड-वाचर्स केशर सिंह व जितेन्द्र सिंह द्वारा क्षेत्र की जानकारी देकर पक्षियों की स्थिति से अवगत करवाया गया।
‘कोरोना’ की वजह से भले ही आमजन की दैनिक गतिविधियों में ठहराव की स्थिति है, लेकिन कहते हैं मन में सकारात्मक सोच के साथ कुछ करने की ललक हो, तो हर असम्भव काम सम्भव हो जाते हैं। यही कारण है कि ऐसे माहौल में भी पक्षी प्रेमियों के उत्साह में कोई कमी नहीं देखी गई।
कांडाताल-खुरेत में पिछले दो दिन से चलाये जा रहे पक्षी गणना से लौटने के बाद एसडीओ मनमोहन सिंह बिष्ट ने भ्रमण दल की बातें साझा करते हुए कहा कि पक्षी पर्यावरण के सबसे संवेदनशील जीव हैं, इन सबके जरिए वातावरण में अचानक आ रही तब्दीली को महसूस किया जा सकता है। बिष्ट ने बताया कि हमारा मकसद मात्र पक्षी गणना तक नहीं है, प्रोफेशनल बर्ड बायर्स के साथ ही स्कूली बच्चों को वाइल्ड लाइफ के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील बनाना भी है।
उनका मानना है, ‘बेमुण्डा से उत्खण्डा’ और ‘ज्वारना से सुरकण्डा’ तक का सौंदर्यीकरण करके नई ट्रैक विकसित कर पर्यटकों के लिए उपलब्ध करवाए जा सकते हैं, निश्चित रूप से इससे जहाँ राज्य को राजस्व प्राप्त होगा वहीं स्थानीय लोगों को रोजगार भी उपलब्ध होगा, ऐसा विश्वास है।
अलग-अलग समूहों में निकले पक्षी प्रेमियों ने पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों की वर्तमान स्थिति से अपने अनुभव साझा किये। बताया कि भ्रमण दलों द्वारा पक्षी जगत की एकत्र की गई उपयोगी जानकारी, भविष्य के लिए उत्तराखंड राज्य में हिमालय क्षेत्र की बिलुप्त होती जन्तु एवं वनस्पति जगत की बहुमूल्य प्राकृतिक सम्पदाओं के संरक्षण के लिए कामगार सिद्ध होगी। उन्होंने कहा पक्षियों की दुर्लभ प्रजाति को विलुप्ति से बचाने के लिए समाज के हर वर्ग विशेष रूप से बच्चों को बढ़-चढ़कर सक्रिय रूप से भागीदारी सुनिश्चित करनी की आवश्यकता है।
केयर संस्था की संस्थापक अध्यक्ष अदिति बिष्ट व सचिव कविता का मानना है कि पक्षी गणकों द्वारा क्षेत्र में पक्षियों की स्थिति व उनकी रहन-सहन की जानकारी प्राप्त की गई। पर्यावरण संरक्षण व संबर्धन की उपयोगिता को समझते हुए स्थानीय परिवेश के ही राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज बुराँसखंडा के बच्चों ने भी उत्साह दिखाया। इस दौरान बच्चे कठफोड़वा जैसे इंजीनियर के कारनामे से भी परिचित हुए। उन्होंने देखा कि, जिस प्रकार गाड़ियों के नीचे सॉकर होने से हमें बैठने में आसानी होती है, ठीक उसी तरह कठफोड़वे की चोंच व गर्दन के बीच में भी सॉकर की भाँति संरचना होती है, जिससे कठोर से कठोर पेड़ों में चोंच मारने के बाबजूद कठफोड़वा के मस्तिष्क पर इसका किसी भी प्रकार का प्रतिकूल प्रभाव दिखने को नहीं मिलता, बल्कि वह आसानी से अपना भोजन पेड़ से ग्रहण कर वहाँ अन्य चिड़ियों का आशियाना भी बना देते हैं।
सप्ताह भर चलने वाले कार्यक्रमों में वॉल-राइटिंग, पोस्टर व निबन्ध प्रतियोगिता के अलावा बर्ड-वॉचिंग के ज़रिए आमजन तक वन्य प्राणियों के संरक्षण की जिम्मेदारी का संदेश दिया गया।
– वॉल-राइटिंग में साक्षी भण्डारी, ज्योतिका, सानिया व ज्योति ने भाग लिया, वहीं पोस्टर में शैली शर्मा व आयुष ने अपनी मन की कल्पना से रंग भरकर वन्य जीवों का संसार दिखाने का प्रयास किया। सीनियर वर्ग की निबन्ध प्रतियोगिता में जयश्री और अनुज ने वन्य प्राणियों को संरक्षित रखने के महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
बर्ड-वॉचिंग में केशर सिंह व जितेन्द्र सिंह के लम्बे अनुभवों का सराहनीय योगदान रहा।
केयर के अवैतनिक सदस्य शिक्षक कमलेश्वर प्रसाद भट्ट बताते हैं कि इस प्रकार की एक्टिविटी बच्चों को पुस्तकीय ज्ञान से इतर व्यवहारिक ज्ञान के लिए बहुत ज्यादा उपयोगी साबित होती हैं। वे बताते हैं कि भावी पीढ़ी को व्यावहारिक रूप से सामाजिक जीवन में वन्य जीवों से तालमेल बिठाने की जिम्मेदारी समझनी होगी। स्वयंसेवी के रूप में बच्चे प्रकृति से जुड़ना सीखते हैं, जो समाज के प्रति निःस्वार्थ भाव से समर्पण भावना को परिलक्षित करता है, इस प्रकार की गतिविधियां भविष्य के लिए बहुत उपयोगी साबित होंगी।
प्रभागीय वनाधिकारी धर्म सिंह मीणा एवं एसडीओ मनमोहन सिंह बिष्ट ने वन्य जीव सप्ताह के अंतर्गत निर्धारित कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक संपन्न कराने में सभी छात्र-छात्राओं का उत्साहवर्धन करते हुए स्वयंसेवियों के साथ ही विभागीय कर्मियों के योगदान की सराहना की।