श्रेष्ठता व स्वच्छता के साथ कर्म करना ही योग
भगवद चिन्तन योगस्थ: कुरुकर्माणि संगं त्यक्त्वा धनंजय सिद्धय सिद्धयो:समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते! हमारे व्यावहारिक…
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भगवद चिन्तन वर्तमान समय में परिवारों की जो स्थिति हो गयी है वह अवश्य चिन्तनीय…
भगवद चिन्तन —————————— मानवीय गुणों में एक प्रमुख गुण है “क्षमा” और क्षमा जिस भी…
भगवद चिन्तन —————————— सच मानिये आज आदमी अपने दुःख से कम और दूसरों के सुख…
भगवद चिन्तन ——————————- अतीत की कड़वी सच्चाईयों से सीखने का प्रयास करें। जीवन से जो…
भगवद चिन्तन स्वाभिमान का मतलब अपनी बात पर अड़े रहना नहीं अपितु सत्य का साथ…
भगवद चिन्तन जिस प्रकार आप किसी वस्तु को लेने बाजार जाते हो तो उसका एक…
भगवद चिन्तन ————————————- ऐसे कर्म न करो जिससे कि आपको दूसरों की नजरों से गिरना…
भगवद चिन्तन ———————————– संतोष का अर्थ प्रयत्न न करना नहीं है, अपितु प्रयत्न करने के…
भगवद चिन्तन ———————————- जीवन को दो ही तरीके से जिया जा सकता है, तपस्या बनाकर…