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वरिष्ठ कवि जीके पिपिल का राजनीति पर एक मुक्तक … कभी टोपी तो कभी सर का ताज बदल लेता है..

जीके पिपिल देहरादून, उत्तराखंड ———————————————————————————– कभी टोपी तो कभी सर का ताज बदल लेता है…