चलो द्रोपदी वस्त्र उठा लो.. अब कृष्ण ना आयेंगे..
डॉ अलका अरोड़ा
प्रोफेसर, देहरादून
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सशक्त बनो है नारी तुम
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चलो द्रोपदी वस्त्र उठा लो
अब कृष्ण ना आयेंगे।
लाज का घूंघट ढाल बना लो
अंहकार का तिलक लगा लो
स्वाभिमान की तान के चादर
खुद में खुद को सुदृढ बना लो
चलो द्रौपदी वस्त्र उठा लो
अब कृष्णा ना आएंगे।
अपनी शम्ति को पहचानो
अपमान को दवा बना लो
अश्रुपूरित अखियों को
जीने का संबल बना लो
चलो द्रौपदी वस्त्र उठा लो
अब कृष्णा ना आएंगे।
सारे पासे आप बिछा लो
किस्मत भरोसे कभी ना टालो
हार-जीत दोनो पलड़ों को
अपनी मुट्ठी में दबा लो
चलो द्रौपदी वस्त्र उठा लो
अब कृष्णा ना आएंगे।
सृष्टि की सुंदर रचना हो तुम
त्याग संयम की प्रतिपल मूरत
शक्ति का अवतार हो तुम
कोमल नहीं कटु वेष धरो तुम
चलो द्रौपदी वस्त्र उठा लो
अब कृष्णा ना आएंगे।
मत परोसो खुद को कभी यूँ
जैसी नारी संवेदना विहीन
लाज बचाने को अपनी
स्वयं की ताकत अर्जित करो
चलो द्रौपदी वस्त्र उठा लो
अब कृष्णा ना आएंगे।
मत झूलों नियति की वेदी पर
अपनी इज्जत आप बचा लो
कपाल पर स्वाभिमान तिलक से
वीर योद्धा की मुहर लगा लो
चलो द्रौपदी वस्त्र उठा लो
अब कृष्णा ना आएंगे।