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पुरानी परंपरा से खुलेंगे चारधाम के कपाट, देवस्थानम बोर्ड का नहीं होगा दखल

-पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गठित किया था देवस्थानम बोर्ड। तीर्थ पुरोहितों ने बोर्ड का भारी विरोध किया। लेकिन, उनकी बात नहीं सुनी गई। अब नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने बोर्ड पर पुनर्विचार की बात कही है, इससे तीर्थ पुरोहितों में उत्साह का माहौल है।

शब्द रथ न्यूज (ब्यूरो) (shabd rath news)। उत्तराखंड के चार धाम (बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री) के कपाट पुरानी परंपरा के अनुसार ही खुलेंगे। त्रिवेंद्र सरकार (trivendra government) के बनाए देवस्थानम बोर्ड का इसमें कोई दखल नहीं होगा। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत (CM Tirath Singh Rawat) ने तीर्थ पुरोहितों को यह आश्वासन दिया है।
चारधाम महापंचायत (char dhan mahapanchayat) के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री आवास में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से मुलाकात की और उन्हें गंगाजल भेंट किया। तीर्थ पुरोहितों (Tirath purohit) ने मुख्यमंत्री से कहा कि देवस्थानम बोर्ड का गठन गैरजरूरी व तीर्थ पुरोहितों के हक-हकूक पर कुठाराघात है, इसलिए देवस्थानम बोर्ड को समाप्त किया जाय। मुख्यमंत्री ने तीर्थ पुरोहितों को आश्वासन दिया कि सरकार और चारधाम के तीर्थ पुरोहित इस मामले में बैठकर विचार करेंगे। सरकार किसी के हक-हकूक के साथ छेड़खानी नहीं करेगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि चारधाम के कपाट पुरानी परंपरा के अनुरूप ही खोले जाएंगे। मुख्यमंत्री से मिलने वालों में संजीव सेमवाल, सुरेश सेमवाल, महेश, डॉ बृजेश सती, उमा सती, अमित सेमवाल, प्रवीण ध्यानी, अनिरुद्ध उनियाल आदि शामिल थे।

तीर्थ पुरोहितों में खुशी का माहौल

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के देवस्थानम बोर्ड पर पुनर्विचार के आश्वासन और कपाट खुलने पर देवस्थानम बोर्ड की दखल न होने के आदेश पर उत्तराखंड के तीर्थ पुरोहितों ने खुशी का माहौल है। उन्होंने मुख्यमंत्री के बयान व आश्वासन को लेकर आभार भी व्यक्त किया है। गौरतलब है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री रहते हुए देवस्थानम बोर्ड बनाया था। उत्तराखंड के चार धाम सहित अन्य मंदिरों की व्यवस्था बोर्ड के हवाले रहनी थी। बर्ड गठन के समय उसका भारी विरोध हुआ। तीर्थ पुरोहितों ने राजधानी देहरादून में धरना प्रदर्शन भी किया। लेकिन, सरकार ने उनकी बात नहीं सुनी और बोर्ड गठित कर दिया गया। वर्तमान मुख्यमंत्री ने देवस्थानम बोर्ड पर पुनर्विचार का बयान दिया तो तीर्थ पुरोहितों ने आस जगी और मुख्यमंत्री से मुलाकात कर उनके समक्ष अपनी बात रखी।

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