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‘गुरु नमन’ में गुरुओं ने दिखाया हुनर, शास्त्रीय गीत संगीत ने बांधा समा

-शैल कला एवं ग्रामीण विकास समिति ने आयोजित की त्रिदिवसीय शास्त्रीय संगीत पर आधारित गायन व वादन कार्यशाला

शब्द रथ न्यूज (ब्यूरो)। शैल कला एवं ग्रामीण विकास समिति के तत्वावधान मे त्रिदिवसीय शास्त्रीय संगीत पर आधारित गायन व वादन कार्यशाला आयोजित की गई। विश्वविख्यात शास्त्रीय गायक पंडित विश्वनाथ के सानिध्य में टपकेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित कार्यशाला में 20 शिक्षार्थियों ने सहभगिता की। उनको स्वर, लय, ताल, मात्राओं के विषय में जानकारी दी गई। साथ ही भजनों की प्रस्तुति के विषय में समझाया गया।

कार्यशाला के अंतिम दिन ‘गुरु नमन’ कार्यक्रम के तहत गुरुओं ने शानदार प्रस्तुतियां दी। समिति के संस्थापक स्वामी एस चंद्रा सभी का स्वागत किया। सभी अतिथियों को स्मृतिचिन्ह भेंट प्रदान किए गए। पंडित विश्वनाथ को अंगवस्त्र पहनाकर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में टपकेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी श्री दिगंबर भरत मुनि गिरी जी महाराज, सुप्रसिद्ध गायक (पंडित जसराज के शिष्य) श्री मनु महाराज, सुप्रसिद्ध शहनाई वादक भाष्कर नाथ (सभी किराना घराना), सुप्रसिद्ध तबला नवाज उस्ताद हुसैन खां साहब (ज़रधा घराना) संस्था के संस्थापक अध्यक्ष स्वामी एस चन्द्रा, रॉयल फिंसर के उत्तराखण्ड परिमंडल के प्रबंधक रजनीश कुमार शर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता अनुप कौल, पर्यावरण बचाओ आंदोलन के संयोजक चन्दन सिंह नेगी, शिव मंदिर पटेलनगर के सुरेन्द्र शर्मा, संस्था की अध्यक्ष पूजा चन्द्रा, गायत्री भन्डारी, अंजना सेठी, नूतन भट्ट, किरन जोशी, सचिन भारद्वाज, डॉ आँचल रतूरी, कत्थक गुरु स्वीटी गुसाई, मोहित राना, आशिष पंत, प्रीती ड़ेनियल, करण रावत, सेवक सिंह, आनंद स्वरूप, अभ्यंश चन्द्रा, आदित्य नय्यर, भूपेन्द्र कैंथोला आदि मौजूद रहे।

लोक वाद्यों व आभूषणों की प्रदर्शनी

संस्था की ओर से लोक वाद्यों व आभूषणों की प्रदर्शनी भी लगाई गई।प्रदर्शनी में डौंर, कांसे की थाली, हुडका, मोछन्ग, शिनाई (शाहनाई ), छुनका, छुन-छुन, इकतारा, घुंगरू, शंख, सितार, घांडी , बिगुल, बीन, खड़ताल, नथ, बाली, कुंडल, चन्द्रहार, चवन्नी माला, चरेऊ, हसुली, गुलबन्द, माला, पोंछी, बाजूबंध, हार, काँठी, झेवर, पाथा, हुक्का कांसे का, हुक्का नारियल का, भियूल् पहाडी टोपीय़ाँ आदि प्रदर्शित की गई।

संस्था 1986 से लगातार कर रही है सेवा

स्वामी एस चंद्रा ने बताया की लोक संस्कृति के संरक्षण के लिए संस्था 1986 से लगातार सेवा कर रही है। कार्यशाला के माध्यम से बच्चों को सिखाने का प्रयास किया जाता हैं संस्था की ओर से 2003 से अब तक लगातार 18 सप्ताह, त्रिदिवसीय, साप्ताहिक, पन्द्रह दिवसीय, एक माह की कई कार्यशालाओंं में सुप्रसिद्ध गीतकार, गायक जीत सिंह नेगी, शिव पोखरियाल, चन्द्र सिंह राही, राजू राही, मनोरमा नेगी, संगीता गैरोला, उषा कोटनाला, संगीता ढौण्डियाल, मंजू सुन्द्रियाल, सावित्री काला सवि, बसंती बिष्ट, गायत्री भंडारी, लीना, बिमला ढौण्डियाल, रंजीत सिंह, कैलाश ध्यानी, सरदार गुरमीत सिंह, मनोहर लाल, डॉ मान सिंह राना, दिनेश राय आदि विद्वानों ने अमूल्य समय दिया। 21 मार्च को उत्तराखण्ड के लोक एवं शास्त्रीय संगीत के पुरोधा पंडित केशव दास अनुरागी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

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