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मुख्यमंत्री धामी के ओएसडी व पीआरओ पर कसी लगाम, नंदन सिंह बिष्ट सस्पेंड

-पीआरओ नंदन सिंह बिष्ट के पत्र के कराई सरकार की फजीहत। बिप्ट ने चालान निरस्त करने को लिखा था पत्र। सोशल मीडिया पर हुआ वायरल

शब्द रथ न्यूज, ब्यूरो (shabd rath news)। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के ओएसडी और पीआरओ की लगाम कस दी गई है। अब वह लेटर हेड का उपयोग नहीं करेंगे। साथ ही किसी भी सरकारी पत्र पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे। दूसरी तरफ, एक पीआरओ नंदन सिंह बिष्ट को सस्पेंड कर दिया गया है। जांच पूरी होने तक बिष्ट सस्पेंड रहेंगे।

दरअसल, मुख्यमंत्री के पीआरओ नंदन सिंह बिष्ट की ओर से वाहनों के चालान माफ करने सम्बन्धी पत्र वायरल होने के बाद मुख्यमंत्री की नाराजगी के बाद पीआरओ नंदन सिंह बिष्ट को हटाया गया है। अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री आंनद वर्धन ने निर्देश जारी करते हुए कहा है कि अब मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात कोई भी ओएसडी, पीआरओ व कॉर्डिनेटर न तो कोई लेटर हेड का इस्तेमाल करेगा और न ही हस्ताक्षर करते हुए पत्र जारी करेगा।

पीआरओ नंदन सिंह के पत्र ने की सरकार की फजीहत

बागेश्वर के एसएसपी को नंदन बिष्ट की ओर से लिखे गए पत्र पर सरकार की खासी फजीहत हुई। विपक्ष ने भी सरकार को जमकर घेरा है। कांग्रेस ने वाहनों के चालान मुख्यमंत्री कार्यालय से निरस्त कराने के पत्र वायरल होने पर सदन में यह मुद्दा उठाया। उप नेता सदन करन माहरा ने आरोप लगाया कि सरकार पुलिस के काम में दखल दे रही है।

पीआरओ ने चालान निरस्त करने को लिखा पत्र

शुक्रवार को सदन में भोजनावकाश के दौरान विपक्ष ने कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर हंगामा किया। माहरा ने कहा कि बागेश्वर में पुलिस ने कुछ वाहनों के चालान किए थे, जिन्हें निरस्त करने को उच्चस्तर से बागेश्वर के एसएसपी को पत्र भेजा गया। इसकी प्रति संभागीय परिवहन अधिकारी बागेश्वर को भी भेजी गई। माहरा ने ऐसे कुछ वाहनों के नंबर भी बताए।

आठ दिसंबर को जारी हुआ पत्र

वहीं, मुख्यमंत्री धामी के जनसंपर्क अधिकारी नंदन सिंह बिष्ट के हस्ताक्षर से गत आठ दिसंबर को जारी पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। पत्र में कहा गया है कि 29 नवंबर को यातायात पुलिस ने चार वाहनों के चालान किए थे। इन वाहनों के नंबरों का उल्लेख करते हुए एसपी बागेश्वर से चालान निरस्त करने का आग्रह किया गया है।

पीआरओ नंदन सिंह की सफाई

मुख्यमंत्री के पीआरओ नंदन सिंह वायरल पत्र पर सफाई दे रहे हैं। बिष्ट का कहना है कि पत्र सही है। लेकिन यह मैंने जारी नहीं किया है। मैं अंग्रेजी में हस्ताक्षर करता हूं। जबकि, पत्र पर हिन्दी में हस्ताक्षर हैं। यह पत्र किसने लिखा है, इसका पता लगाया जा रहा है।

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