मुख्यमंत्री बोले, उत्तराखंड में बनेगी फॉरेस्ट लाइन, मृतक वन कर्मियों के आश्रितों को मिलेंगे 15 लाख रुपए
-मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शुक्रवार को वन मुख्यालय देहरादून में वनाग्नि प्रबंधन व सुरक्षा की बैठक ली। अधिकारियों को दिए निर्देश
देहरादून। वनों की आग बुझाते समय मौत होने पर वन कर्मियों के आश्रितों को 15 लाख का मुआवजा दिया जाएगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की। साथ ही उन्होंने निर्देश दिए कि मुख्यालय पर तत्काल इन्टीग्रेटेड फायर कमांड एंड कन्ट्रोल सेंटर की स्थापना की जाय। मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस लाइन की तर्ज पर फारेस्ट पुलिस लाइन भी बनाई जाएगी ताकि जंगलों में रहने वाले वन कर्मचारियों के परिजनों को भी सुविधाएं मिल पाएं।मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शुक्रवार को वन मुख्यालय देहरादून में वनाग्नि प्रबंधन व सुरक्षा की बैठक ली। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि वन मुख्यालय में तत्काल इन्टीग्रेटेड फायर कमांड एंड कन्ट्रोल सेंटर की स्थापना की जाय। वनाग्नि प्रबंधन के लिए यह देश का पहला सेंटर होगा। सेंटर के माध्यम से सैटेलाईट से सीधे फायर संबंधित सूचनाओं को एकत्र कर फील्ड लेबल तक पहुंचाने की व्यवस्था की जायेगी। इसमें फॉरेस्ट टोल फ्री नम्बर 1926 की व्यवस्था के साथ ही अन्य आधुनिक व्यवस्थाएं की जायेंगी। उन्होंने कहा कि 15 फरवरी से 15 जून तक फायर सीजन के ध्यान में रखते हुए सभी व्यवस्थाएं तैयार रखी जाएं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कैम्पा मद से प्राप्त बाईकों को हरी झण्डी दिखाई और स्टेट फायर प्लान प्रति का अनावरण भी किया।
वनाग्नि प्रबंधन के लिए सीनियर ऑफिसर को मिलेगी जिम्मेदारी
वनाग्नि प्रबंधन के लिए एक अपर प्रमुख वन संरक्षक स्तर के अधिकारी को जिम्मेदारी दी जाएगी। उसके नुरेश मुख्यमंत्री ने दिये हैं। राज्य में वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए इनकी ओर से मॉनिटरिंग की जायेगी। वनाग्नि प्रबंधन के समय कंट्रोल बर्निंग (पहाड़ के टॉप से नीचे की ओर) व फॉरेस्ट फायर लाइंस के रख-रखाव पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इसमें आ रही बाधाओं का जल्द निराकरण किया जाय।
सुरक्षा दीवार बजाय सोलर फेसिंग पर दिया जाय ध्यान
मुख्यमंत्री ने कहा कि फ्रंटलाईन फॉरेस्ट स्टॉफ वन सुरक्षा एवं प्रबंधन की महत्वपूर्ण कड़ी हैं। उनके लिए आवासीय फॉरेस्ट लाईन्स का निर्माण किया जायेगा। मुख्यमंत्री प्रमुख सचिव वन एवं प्रमुख वन संरक्षक को निर्देश दिये कि एक सप्ताह में कैंपा परियोजना से सबंधित कार्ययोजना तैयार कर प्रस्तुत किया जाय। टोंगिया ग्रामों का प्रस्ताव भी सप्ताहभर में दिया जाय। वन्य जीवों से सुरक्षा के लिए सुरक्षा दीवार के बजाय सोलर फेंसिंग पर अधिक ध्यान दिया जाय। यह कम लागत पर अधिक परिणाम देता है।
वन विभाग के वाहनों का अधिग्रहण न किया जाय
मुख्यमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जुड़े सभी जिलाधिकारियों व डीएफओ को निर्देश दिये कि वनाग्नि प्रबंधन के लिए व्यवस्थाएं तैयार रखी जाय। आवश्यक उपकरणों की पूरी व्यवस्था के साथ ही एसडीआरएफ मद से भी उपकरण ले सकते हैं। वनाग्नि को रोकने के लिए पिरुल इकट्ठा करने की व्यवस्था की जाए। समय-समय पर जिलाधिकारी स्तर पर बैठकें की जाय। यह सुनिश्चित किया जाय कि वनाग्नि में जान गंवाने वालों को मानकों के अनुसार मुआवजा जल्द मिल जाय। उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि फायर सीजन के दौरान वन विभाग के अधीन वाहनों को अधिग्रहण न किया जाय।
वन कर्मियों को श्रद्धांजलि, रखा दो मिनट का मौन
गढ़वाल वन प्रभाग पौड़ी के वनकर्मी हरिमोहन सिंह व फॉरेस्टर दिनेश लाल का वनाग्नि बुझाते समय जान चली गई थी। बैठक शुरू होने से पहले इन दोनों कर्मचारियों के निधन पर श्रद्धांजलि स्वरूप दो मिनट का मौन रखा गया।