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सत्ता संघर्ष की आशंका: कांग्रेस हाईकमान ने तैनात किए केंद्रीय ऑब्जर्वर

-वर्ष 2002 और वर्ष 2012 में पार्टी नेताओं के बीच बने सत्ता संघर्ष की स्थिति आज भी ताजा है। इस चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनने पर सत्ता संघर्ष की आशंका लग रही है।

शब्द रथ न्यूज, ब्यूरो (Shabd Rath News)। कांग्रेस हाईकमान ने विजयी प्रत्याशियों को केंद्रीय आब्जर्वर की निगरानी में रखने के फैसले से एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश की है। इससे जहां पूरी चुनावी प्रक्रिया सीधे हाईकमान के हाथ होगी। वहीं, स्थानीय को अपने समर्थक विधायकों के साथ अलग से खिचड़ी पकाने का मौका नहीं मिल पाएगा।

वर्ष 2002 और वर्ष 2012 में पार्टी नेताओं के बीच बने सत्ता संघर्ष की स्थिति आज भी ताजा है। इस चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनने पर सत्ता संघर्ष की आशंका लग रही है। इस बार जहां पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कैंप रावत को मुख्यमंत्री पद का स्वभाविक दावेदार मानता है। वहीं, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के समर्थक सरकार बनने पर प्रीतम को मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं। केंद्रीय आब्जर्वर के साथ होने की वजह से विधायकों पर कोई भी कैंप दबाव बनाने की स्थिति में नहीं रहेगा।

हरीश रावत-प्रीतम सिंह मुख्यमंत्री पद के दावेदार

शीर्ष नेताओं के साथ बैठक के दौरान पूर्व सीएम हरीश रावत और नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ज्यादा सहज नजर नहीं आए। दोनों नेता एक-दूसरे से कटे कटे से रहे। जहां रावत समर्थकों से घिरे रहे। वहीं, प्रीतम दूरी बनाते हुए अपनी टीम के साथ अलग ही रहे। बैठक में जरूर दोनों अगल बगल में थे। लेकिन, वहां भी गर्मजोशी नजर नहीं आई। मालूम हो कि कांग्रेस में दोनों ही मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं।

कांग्रेस पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने जा रही है। कोई लाख दावे करता रहे पर उत्तराखंड की जनता ने कांग्रेस के पक्ष में अपनी मुहर लगाई है। भाजपा दूर-दूर तक सत्ता में वापसी नहीं करने जा रही है।

हरीश रावत

भाजपा के कुशासन के खिलाफ जनता ने कांग्रेस को समर्थन दिया है। 10 मार्च को जनता का फैसला आ जाएगा। अब भाजपा चाहे जितनी साजिश करे, वो सफल नहीं होगी। जनता ने उसे नकार दिया है।

प्रीतम सिंह

उत्तराखंड में निश्चित रूप से कांग्रेस सरकार का गठन होने जा रहा है। एग्जिट पोल के कई सर्वेक्षणों में कमोवेश इस बात की तस्दीक भी हो रही है। कांग्रेस उत्तराखंड के समग्र विकास की सोच के साथ मिलजुल कर काम करेगी।

गणेश गोदियाल

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