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पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का निधन, 10 अगस्त से अस्पताल में थे भर्ती

शब्द रथ न्यूज। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का सोमवार की शाम (आज) निधन हो गया। 85 वर्षीय मुखर्जी पिछले 10 अगस्त से अस्पताल में भर्ती थे। मुखर्जी के पुत्र अभिजीत मुखर्जी ने उनके निधन की जानकारी ट्वीट कर दी।
पूर्व राष्ट्रपति का दिल्ली कैंट स्थित आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में इलाज किया जा रहा था। सुबह ही अस्पताल प्रशासन की ओर से बताया गया कि फेफड़ों में संक्रमण की वजह से मुखर्जी सेप्टिक शॉक में थे।

प्रधानमन्त्री बनने से दो बार चूके

सत्तर के दशक में सियासत में कदम रखने वाले प्रणब मुखर्जी केंद्र में वित्त, रक्षा, विदेश जैसे अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभालने के बाद जुलाई 2012 से जुलाई 2017 तक भारत के राष्ट्रपति रहे। उनके लंबे राजनीतिक करियर में 2 बार ऐसा दौर भी आया जब वो प्रधानमंत्री बनने के दावेदार थे लेकिन चूक गए।

मोदी सरकार ने दिया सर्वोच्च सम्मान

सत्तर के दशक में सियासत में कदम रखने वाले प्रणब मुखर्जी केंद्र में वित्त, रक्षा, विदेश जैसे अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभालने के बाद जुलाई 2012 से जुलाई 2017 तक भारत के राष्ट्रपति रहे.मोदी सरकार ने देश के लिए उनके योगदान को सम्मान देते हुए उन्हें भारत रत्न की उपाधि से विभूषित किया।
प्रणब दा कांग्रेस के दिग्गज नेता थे. इसके बावजूद मोदी सरकार द्वारा उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान के लिए चुना जाना बताता है कि उनकी शख्सियत और कद पार्टी या विचारधारा से कितना ऊपर था।

इंदिरा गांधी की उंगली पकड़ कर सीखी राजनीति

इंदिरा गांधी कैबिनेट में वित्त मंत्री  प्रणब मुखर्जी ने 1969 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उंगली पकड़कर राजनीति में एंट्री ली थी। वे कांग्रेस टिकट पर राज्यसभा के लिए चुने गए. 1973 में वे केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल कर लिए गए और उन्हें औद्योगिक विकास विभाग में उपमंत्री की जिम्मेदारी दी गई. इसके बाद वह 1975, 1981, 1993, 1999 में फिर राज्यसभा के लिए चुने गए।
उनकी आत्मकथा में स्पष्ट है कि वो इंदिरा गांधी के बेहद करीब थे और जब आपातकाल के बाद कांग्रेस की हार हुई तब इंदिरा गांधी के सबसे विश्वस्त सहयोगी बनकर उभरे थे।

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